अदिति के जीवन में क्या हो रहा है ये दर्शाती है hindi story of women.
क्या बात है अदिति क्या सोच रही हो?अमन ने जैसे ही अदिति को चाय का प्याला पकड़ाया तो अदिति अपने ख्यालों के संसार से वापिस आ गयी|
अमन एक बात बताओ कि जिस तरह माँ बाप को बेटों से प्यार होता है उस तरह बेटियों से क्यूँ नहीं होता, और अगर होता भी है तो उसे जाता क्यूँ नहीं सकते? अमन ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा कि तुम ऐसा क्यूँ सोचती हो? माँ बाप अपने दोनों बच्चों को एक जैसा प्यार करते हैं पर बेटी पर शादी के बाद शायद वो अपना हक कम समझते हैं|
हाँ, शायद इसलिए कभी उस से शादी के बाद ये पूछना भूल जाते हैं कि तुझे हमने हमेशा अपने साथ रखा और आज जब हम तुझे एक अजनबी के साथ भेज रहे हैं तो तू क्या खुश रह भी पाएगी या नहीं? क्या उन्हें ये दर होता है कि अगर बेटी खुश नहीं रह पायी और वापिस आ गयी तो क्या होगा, हम समाज में कैसे रहेंगे? और जब बेटे की शादी होती है तो क्यूँ नहीं भूल जाते ये हक?
अब अमन की चाय ख़त्म हो चुकी थी और उसने अदिति से पूछा कि क्या तुम्हें कोई तकलीफ है? तुम्हें जो कुछ भी कहना है तुम मुझसे कहो मैं हूँ तुम्हारे साथ! पर क्यूँ अमन, क्या उनका काम एक ज़िम्मेदारी निभाने का था जो उन्होंने निभा दी और बस हो गया?
अमन समझ नहीं पा रहा था कि अदिति इतनी कड़वी बातें क्यूँ कर रही है पर वो जानता था कि शायद ये वो सब घाव हैं जिनसे अदिति आज बहुत मज़बूत बनी है, जो शायद उसे उसके अपनों ने ज्यादा दिए हैं| आज अदिति अकेले रहना सीख गयी थी और उसने खुद को इतना स्ट्रोंग बना लिया था कि कोई है तो भी ठीक और कोई नहीं है तो भी ठीक और इन सब में अमन ने उसकी एक दोस्त की तरह मदद की थी|
अमन को सही गलत में फर्क समझने में बहुत देर लगी थी पर तब तक अदिति अपनों से दिए गए घाव हद से ज्यादा सहन कर चुकी थी| अमन ने जब उसको संभाला वो बिलकुल टूट चुकी थी, जिस जिस के साथ अच्छा करती गयी उस उस ने सिर्फ अपना फायदा उठाया और उसे धोखा दिया| लोक दिखावे के लिए सब थे उसके पास पर सच्चाई दिखावे की मोहताज नहीं होती| चेहरों से नकाब उतरने लगे थे लोगों के, कोई नहीं था उसके पास उसकी ख़ुशी, उसका दर्द बांटने के लिए ना ही दोस्त ना ही रिश्तेदार|
अमन और अदिति कब पति पत्नी से अच्छे दोस्त बन चुके थे पता ही नही चला और अमन खुश था कि अदिति सब कुछ भुलाकर खुद को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है लेकिन आज फिर अदिति कमज़ोर पढ़ रही थी|
अदिति तुम्हे अपने पास्ट को भुलाकर आगे बढ़ना होगा, जिस ने जो भी तुम्हारे साथ किया उससे तुमने कुछ ना कुछ ज़रूर सीखा है| कभी कभी चोट लगनी इसलिए भी ज़रूरी हो जाती है कि हम अपनी मजबूती को पहचान पाए, पर जितना अमन अदिति को समझाने की कोशिश कर रहा था उतना ही अदिति कमज़ोर महसूस कर रही थी| आखिर में अमन को समझ आ गया कि अदिति को कुछ समय अकेले में बिताने की ज़रुरत है तो उसने कहा कि अदिति अभी तुम आराम कर लो शाम को हम चलेंगे और मम्मी पापा से मिल भी आयेंगे|
अदिति जब कमरे में जाने लगी तो बोली, अमन मुझे भी किसी वक़्त पर प्यार की ज़रुरत थी और कोई नहीं था मेरे पास ये बात मैं कभी नहीं भूल सकती, और एक बात हमेशा याद रखना तुम चाहे मुझे कितना मज़बूत बनाने की कोशिश कर लो पर मैं इंसान हूँ और मुझे भी सबके साथ की सबके प्यार की ज़रुरत है और
“ प्यार कभी भी राशन की दूकान पर नहीं मिलता”
इतना कह कर अदिति अपना मन हल्का करके अपने कमरे में सोने चली गयी|
अगर आप भी अपने दिमाग को शांत और स्थिर रखना चाहते हैं तो आज ही सुने : https://www.youtube.com/watch?v=8Zd10Biq1YM