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पापा मैं छोटी से बड़ी हो गयी क्यूँ ?| Emotional story of father and daughter

Emotional Story of Father Daughter Hindi Mein

Emotional Story of Father Daughter Hindi Mein
Emotional Story of Father Daughter Hindi Mein

Emotional story of father and daughter में पढ़ें पिता और बेटी की कहानी ।

आजकल nuclear family की need है कि husband वाइफ दोनों मिलकर घर की जिम्मेदारियां संभालें ।

सचिन की मूवी का ये song जब आया था तो पता नहीं था कि ये लाइन्स शायद हर बच्चा जिम्मेदारियां पड़ने पर अपने माँ बाप से पूछता है ।जहाँ एक लड़की अपने पिता की आँखों का तारा होती है वहीँ एक बेटे की परवरिश का ज़िम्मा उसकी माँ का होता है । ज़माना बदल रहा है, पहले सिर्फ लड़कियों को अपने घर से दूर जाना होता था और अगर उन्हें कुछ नहीं आता तो कहा जाता था कि माँ ने कुछ नहीं सिखाया फिर भले ही वो लड़की एक काम काजी बहु हो और अच्छे पैसे कमाती हो, उसी तरह आजकल लड़कों को भी काम काज के सिलसिले में घर से दूर जाकर रहना पड़ता है और nuclear family में जीवन बसर करना पड़ता है ।

आजकल nuclear family की need है कि husband वाइफ दोनों मिलकर घर की जिम्मेदारियां संभालें फिर चाहे वो घर को मैनेज करना हो या बाज़ार के काम निपटाना, दोनों को बराबर की सांझेदारी चाहिए ।

ऐसे में अगर बचपन में लड़का आरामपरस्त रहा हो तो सारा load घर की lady पर पड़ता है जो कायदे से गलत है क्यूँकि उसे कहीं न कहीं बच्चों, ऑफिस, पति और घर सब मैनेज करना होता है जिसका ratio लगभग 70% आदमियों से ज्यादा होता है। बाप रे !! मैंने उसी वक़्त सोच लिया कि मैं अपने बेटे को इस लायक बनाउंगी कि उसको कहीं आगे चलकर अपनी बीवी से न सुनना पड़े कि माँ ने कुछ नहीं सिखाया क्या ? कुछ चीज़ें जो मैंने अपने बेटे के दस साल के होने पर उसको सिखाने के बारे में सोची है वो अगर हर माँ अपने बेटे को सिखाये तो शायद ” पड़ेगा इंडिया तभी तो बढेगा इंडिया “ वाला नारा सच साबित हो जाये क्यूँकि पढाई सिर्फ कागज़ी नहीं होनी चाहिए और जीवन में अपने हमसफ़र के कदम से कदम मिलकर चलने से ही लड़ाई झगडे कम होंगे और इंडिया आगे उन्नति की ओर बढेगा ।

Emotional story of father and daughter
Emotional story of father and daughter

1 अपने बच्चों को knowledge बढ़ाने के लिए कहें सिर्फ किताबी चीज़ें रटकर पास होने को knowledge होना बिलकुल नहीं कहते । उन्हें अपनी गलतियों से सीखने दें, गलतियों से सीख कर जब वो आगे बढेंगे तो शायद हमारी सोसाइटी को वो एक बेहतर कल दे पायेंगे।

2 सम्मान करना बहुत ज़रूरी है फिर वो चाहे अपने से बड़ों का हो, औरतों का हो, अपने से नीचे काम करने वाले लोगों का हो, भारत देश का, झंडे का हो या किसी का भी हो हमें हमेशा दूसरों का सम्मान करना चाहिए पर इसका ये मतलब बिलकुल नहीं है की हमें आत्म सम्मान पर ध्यान नहीं देना, आत्म सम्मान सर्वोपरि है।

3 अपने बच्चों को अपनी सफाई, आसपास की सफाई, घर के कामों में हाथ बंटाना सिखाईये, ये सिर्फ लड़कियों के लिए नहीं है अगर अल्द्कों को भी घर के कामों में हाथ बंटाने की आदत पद जाए तो ये आगे चलकर उनके बहुत काम आएगा और उन्हें समझाईये कि किस तरह उनके माता पिता उनके लिए पैसे जोड़ रहे हैं । उन्हें पैसे की कीमत समझाना बहुत ज़रूरी है ।

4 अपने बच्चों को समय की कीमत समझाएं, बीता हुआ कल कभ वापिस नहीं आता अगर आज उन्होंने टाइम की कीमत नहीं समझी तो कल टाइम उन्हें कीमती नहीं बनने देगा, आज से ही उन्हें खाने का, खेलने का, पढने का टाइम मैनेज करना सिखाएं ताकि आगे चलकर जॉब के प्रेशर में वो टाइम के अभाव में अपनी सेहत से खिलवाड़ ना कर बैठें ।

5 बच्चों को हमेशा ये एहसास दिलाईये कि चाहे दुनिया के सारे दरवाज़े बंद हो जाएँ पर आप हमेशा उसके साथ हैं एक सच्चे दोस्त की तरह, उसे कभी भी कुछ भी बात करनी हो वो आपके पास बेझिझक आ सकता है ।

अपने बच्चों को आज से ही एक बेहतर कल के लिए तैयार कीजिये ।

दोस्तों कैसी लगी आपको पोस्ट Emotional story of father and daughter

बच्चों को समझाने का तरीका सुनें https://www.youtube.com/watch?v=y_S5B-9ShEs

Written by Geetanjli Dua