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Inspirational Hindi Story for Women

Inspirational Hindi Story

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मीता को समझ नहीं आ रहा था कि क्या कभी कभी सच में वक़्त को वक़्त देना पड़ता है?

जीवन की सच्चाई:

अभी कल ही की तो बात थी जब मीता एक बड़ी एम्. एन. सी  में काम करती थी और ऑफिस के साथ साथ बच्चों को भी अच्छी परवरिश दे रही थी | मीता की जॉब के चर्चे सारे लोग करते थे कि वो कितने अच्छे तरीके से सब बैलेंस करती है | एक तरफ उसकी वह वही करने वाले बहुत थे दूसरी तरफ उससे जलने वाले बहुत थे |

मीता को किसी से कोई मतलब नहीं था, वो एक साधारण विचारों वाली लड़की थी | उसे सिर्फ एक ही बात बुरी लगती थी कि जब वो किसी से नहीं जलती, किसी से इस बात का मतलब नहीं रखती कि कौन कितना कमा रहा है तो लोगों को उससे तकलीफ क्यों होती है |

मीता की एक सहेली उसे बहुत समझाती थी कि अगर हम किसी जंगल में फस गए और वहां शेर आ गया तो हम उस वक़्त ये नहीं सोच सकते कि हम तो अच्छे है, शेर हमारा कुछ नहीं बिगाड़ेगा |

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सपना( मीता की सहेली ) उसको समझाती थी कि ये समाज की रीत है, किसी को खुद कुछ नहीं करना लेकिन दूसरा जो कर रहा है उससे दुखी होना है | ऐसे में ये सोचना कि हम तो अच्छे हैं तो हमारे साथ कोई क्यों बुरा करेगा, शायद शेर वाली बात पर फिट बैठता है |

मीता और सपना आखिर में एक गाना गुनगुनाते कि कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना | एक दिन सपना और मीता एक साथ बाजार जा रहे थे तो पीछे से आवाज़ आयी, अरे मीता ऑफिस से आते ही घूमने निकल पड़ी, ज़रा बच्चों का भी ख़याल करो |

तुम सारा दिन तो ऑफिस होती हो, कम से कम शाम के वक़्त तो बच्चों को समय दे दिया करो | दोनों को ये बातें सुन कर गुस्सा तो बहुत आया पर सपना कहीं उल्टा जवाब ना दे दे, ऐसा सोचकर मीता ने सपना का हाथ पकड़ा और तेज़ कदम बढ़ाने लगी ये बोलते हुए कि आंटी अभी आयी |

सपना ने आगे जाकर बोला ; देख मीता अगर तू लोगों से डर कर जीती रहेगी तो काम नहीं चलेगा, तुझे जवाब देना होगा | जिन आंटी को तेरे बच्चों पर बहुत तरस आ रहा था, उनके खुद के बच्चे सारा दिन मोबाइल देखते हैं और वो किट्टी पार्टी में मग्न रहती हैं | किस हक़ से उन्हें तेरे बच्चों पर इतना प्यार आ रहा था, लोगों का तो काम ही होता है दुसरे के घरों में झांकना और दखल देना |

मीता ने जैसे तैसे करके उसे चुप करवाया और काम निपटा कर घर वापिस आ गयी | घर आयी तो देखा एक मेल आया हुआ था कि उनकी कंपनी बंद हो रही है और उस जैसे कई लोग बेरोज़गार हो गए हैं |

” वक़्त को थोड़ा वक़्त दो “

दर्द अब आंसुओं में बह निकला, बच्चे आये और बोले मम्मी क्या हुआ आप रो क्यों रहे हो ? मीता कुछ नहीं बोल पायी और उस आंटी के शब्द अब सुई जैसे चुभ रहे थे |

धीरज( मीता का पति) जब वापिस आयी तो मीता की बात सुनकर बोला, मीता ” वक़्त को थोड़ा वक़्त दो “!

आज पूरा एक साल हो गया था, मीता को घर रहते हुए जिसमे मीता अपने बच्चों के बहुत करीब आ गयी थी | एक दिन उसको एक  कंपनी से  जॉब ऑफर आता है और उसे नौकरी मिल जाती है | बच्चे भी बड़े हो चुके थे , खुद को संभालने लायक और अब मीता को समझ आ गया था कि “कभी कभी वक़्त  वक़्त देना पड़ता है |”

ये भी सुने : https://www.youtube.com/watch?v=Gn9Y_Vwsnak

Written by Geetanjli Dua