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अकेले हैं तो क्या गम है-Hindi Kahani | Emotional Family Story in Hindi

Family Story in Hindi

Family Hindi Story
Family Hindi Story

रजनी की ज़िन्दगी को दर्शाती Emotional Family Story in Hindi.
रजनी को पता नहीं था कि जिन पढ़ाई की बातों को वो बचपन में छोड़ आई है, वही बातें दुबारा से उसकी ज़िन्दगी में एक मीठी सी हलचल ले कर आएँगी।

शुभम और विभा दोनों ही बचपन से रजनी के बिना अकेले कभी नहीं रहे। रजनी जब भी मायके जाती थी तो भी वो दोनों साथ ही जाते थे। करन (रजनी) के पति एक बिसनेस के मालिक थे। उन्हें काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहना पड़ता था।

रजनी सब कुछ अकेले ही संभालती थी तो कभी नौकरी के बारे में नहीं सोचा और परिवार बहुत संपन्न था तो पैसे की भी कोई ज़रूरत नहीं थी। एक आध बार अगर बात की भी तो करन ने कहा कि क्या कमी है तुम्हे जो नौकरी करनी है, सबकुछ तो है हमारे पास बस तुम बच्चों की परवरिश अच्छे से कर दो यही ज़रूरी है।

रजनी को भी लगा कि हाँ ठीक ही तो है अगर मैं और करन दोनों ही काम में व्यस्त हो जायेंगे तो बच्चों को कौन देखेगा। रजनी ने बहुत अच्छे से बच्चों को पाला पोसा और बहुत अच्छे संस्कार दिए, सब रजनी की बहुत तारीफ़ किया करते थे कि कैसे उसने अकेले ही सब कुछ अछे से संभाल लिया है और बच्चों को भी अपनी मम्मी पर बहुत गर्व था।

धीरे धीरे बच्चे बड़े होने लगे और अपने फैसले खुद लेने लगे, अब उन्हें हर चीज़ के लिए रजनी की ज़रुरत नहीं पड़ती थी। पहले स्कूल जाना हो तो रजनी, नयी डिश खानी हो तो रजनी, हर चीज़ के लिए रजनी 24*7 तैयार रहती थी।

अब जब बच्चे थोड़े और बड़े हुए तो उन्हें पढ़ाई और अपने कैरियर के सिलसिले में बाहर जाना पड़ा। पहले विभा को फैशन डिजाइनिंग के लिए उन्होंने दुसरे शहर भेजा और अब शुभम भी पढ़ाई के लिए चला गया| करन तो पहले से ही बिजी रहते थे तो रह गयी अकेली रजनी। सब कुछ था घर में लेकिन रजनी को सुकून नहीं मिल रहा था।रजनी बीमार रहने लगी और उसकी सहेली ने उसे समझाया कि ये तो एक दिन सबके साथ होना है तो क्यूँ ना हम खुद के लिए भी कुछ कर लें।

रजनी को कुछ समझ नहीं आ रहा था तो उसकी सहेली ने समझाया कि ”अकेले हैं तो क्या गम है” अपने लिए सोचो अपने बारे में सोचो और खुद को व्यस्त रखो तभी ठीक रह सकती हो तुम वर्ना अपनी तबियत और बिगाड़ लोगी। रजनी तुम पढ़ाना जानती हो तो बच्चों को पढ़ाना शुरू करो, इससे तुम्हारा मन भी लगा रहेगा और तुम व्यस्त भी रहोगी। रजनी ने जवाब दिया कि अब पढ़ाई बहुत बदल चुकी है, कौन मुझसे पढ़ेगा, आजकल बच्चे बहुत स्मार्ट हो गए हैं और मैं उन्हें नहीं पढ़ा सकती

अरे तुम छोटे बच्चों को पढ़ाना शुरू करो, वो तुमसे ज़रूर पढेंगे क्यूंकि तुम बच्चों के साथ जल्दी घुल मिल जाती हो और बच्चों को यही चाहिए। रजनी ने करन से बात को और वो भी रजनी के इस फैसले से सहमत हो गया, रजनी ने घर के बाहर बोर्ड लगा दिया और धीरे धीरे आस पास के बच्चे उससे पढ़ने आना लगे। करन रजनी को देखकर खुश हुआ कि वो अब व्यस्त रहती है और शुभम और विभा ने भी रजनी के इस फैसले की तारीफ़ की, अब रजनी ने अपने अकेलेपन को दूर करने का मकसद ढूंढ लिया था।

कैसी लगी आपको रजनी की Emotional Family Story in Hindi.

अगर आप खुद के साथ खुश रहना चाहते हैं तो ये सुनें : https://youtu.be/GSPkHSuWRcs

Written by Geetanjli Dua