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जब पापा हैं साथ तो डरने की क्या बात!Father Kid Story in Hindi

Emotional Family Story in Hindi

Emotional Family Story in Hindi
Emotional Family Story in Hindi

जब हम छोटे होते हैं तो अक्सर ये सोचते हैं कि हम कब बड़े होंगे और जब बड़े होते तो ख्वाहिश होती है कि काश हम छोटे होते! जीवन में ख्वाहिशों का कभी अंत नहीं होता है बस एक चीज़ जो हमारे साथ हम हमेशा चाहते हैं वो है पिता का साथ, फिर चाहे बचपन हो या हम बड़े हो जाए हमें पिता की सलाह की ज़रुरत हमेशा महसूस होती है। रोहन और रिंकी जब छोटे थे तो अपने पिता के बहुत लाडले थे। आपस में झगड़ा हो या कुछ फैसला न ले पा रहे हों, उनके पिता हमेशा एक मज़बूत स्तम्भ की तरह उनके साथ खड़े होते थे।

पिता जी ने बचपन में बहुत लाड प्यार से दोनों को पाला, फिर चाहे रोहन और पिंकी के पहली बार पापा बोलने पर ऑफिस में मिठाई बांटने की बात हो या रोहन को चोट लगने पर ३ दिन तक उसके सिरहाने बैठ कर ऑफिस की छुट्टी लेने पर बॉस से होने वाली तकरार हो , हर उदाहरण अपने आप में एक मिसाल है। सहगल साहब का मानना था कि लड़का हो या लड़की एक न एक दिन बच्चों ने पढाई के या नौकरी के बहाने बाहर निकल जाना है और उस वक़्त उनके पास याद करने के लिए सिर्फ ये मीठे पल ही रह जायेंगे जिनको वो कभी miss नहीं करना चाहते थे।

कई बार mrs सहगल उनको ये रवैया बदलने के लिए कहती थीं और कहती कि इस तरह से बच्चे बिगड़ जायेंगे और कभी अपने जीवन के फैसले खुद नहीं ले पायेंगे, पर इस बात पर सहगल साहब भी उन्हें कहते कि जब वक़्त आएगा बच्चे खुद समझदार बन जायेंगे लेकिन जब तक उन्हें मेरी ज़रुरत है मैं पीछे नहीं हटूंगा।

बच्चों ने भी पिता के सम्मान का हमेशा ख़याल रखा और कभी उन्हें शिकायत का मौका नहीं दिया। बच्चों को भी पता था जब पापा हैं तो चिंता की क्या बात ! धीरे धीरे बच्चे बड़े होने लगे और अब अपनी ज़िन्दगी से जुड़े फैसले खुद लेने लगे , ऐसे में सहगल जी कभी मदद का हाथ आगे बढ़ाते भी तो बच्चे बोलते पापा हम अब बड़े हो गए हैं, don’t worry we will manage!! तब सहगल जी को अपनी ज़िन्दगी में एक खालीपन सा महसूस होता जिसके बारे में mrs. सहगल उन्हें पहले से ही चेतावनी देती रहती थीं।

जब बच्चे कॉलेज जाने लगे तो उन्हें एहसास हुआ कि जिन पापा के रहते उन्होंने कभी कोई चिंता नहीं की आज उन्हें अपने लिए खुद फैसले लेने हैं और अपने लिए नौकरी कर के भविष्य के लिए धन अर्जित करना है। रिंकी की शादी हो चुकी थी और अब उसे एहसास हो रहा था कि जो छोटे छोटे काम पापा चुटकियों में हल कर देते थे उनके लिए आज उसे म्हणत करनी पड़ रही है और काम फिर भी ठीक से manage नहीं हो रहा। ऐसे में एक दिन माँ(mrs. सहगल) का फ़ोन रिंकी के पास आता है कि पापा को उसी के शहर में कुछ काम है तो अगर उसे कुछ मंगवाना है तो पापा ले आयेंगे, बस फिर क्या था रिंकी के अन्दर का वो बच्चा फिर से जाग गया और उसने लिस्ट गिनानी शुरू कर दी, मम्मा पापा को बोलना वहां के आम लेते आयेंगे, और यहाँ तो जामुन में भी वैसा स्वाद नहीं है , जैसा पापा के साथ सुबह की सैर के समय पेड़ से तोड़ कर खाने में था, पापा को बोलना वहां की मेरी favourite नमकीन लाना न भूलें।

इसी बीच मिलिंद( रिंकी का पति ) ऑफिस से आ गया और चुपचाप रिंकी की फरमाईशों की लिस्ट सुनता रहा, जब रिंकी ने लम्बी चौड़ी लिस्ट गिनाने के बाद फ़ोन रखा तो मिलिंद ने उसको बहुत डाटा और कहा इतनी फरमाईशों के बीच क्या तुमने माँ से ये भी पूछा कि पापा कब आ रहे हैं और वो इतना सामान अकेले कैसे लायेंगे? ये सुनते ही रिंकी बहुत शर्मिंदा हुई और उसने दुबारा माँ को फ़ोन मिलाया और बोली मम्मा वैसे पापा कब आ रहे हैं ? उधर से Mr. सहगल ने फ़ोन उठाया और बोले बीटा मैं कभी भी आयुन तुम्हारा सारा सामान ले आऊंगा चिंता मत करो, when papa।s here, then no fear…रिंकी ने स्पीकर ओन किया और बोली पापा दुबारा बोलिए क्या कह रहे हैं, तो पापा ने फिर वाही dialogue मारा जिसे सुनकर ने रिंकी ने मिलिंद की तरफ देखा और एक नॉटी स्माइल देते हुए बोली yes papa। Know…पापा हैं साथ तो चिंता की क्या बात!

रिंकी का फ़ोन रखते ही रोहन का कॉल आ गया, पापा कितने देर से कॉल कर रहा हूँ , इतनी लम्बी बात किस से कर रहे थे ? चलो पहले ये बताओ कि मैं ये फॉर्म भरूं या ये?? सुनते ही Mr. सहगल ने स्पीकर ओन किया और पत्नी की तरफ देखते हुए बोले बेटा क्या कह रहे हो समझ नहीं आया, दोबारा बोलना, पापा मैं पूछ रहा हूँ कि मैं ये फॉर्म भरूं या ये, जल्दी बताओ !! अब mrs. सहगल मुस्कुराती हुई kitchen की और चाय बनाने के लिए चली गयी और बद्बदाने लगीं, हाँ भाई जब पापा हो साथ तो चिंता की क्या बात।  एक घंटे बाद पापा के पास रिंकी का फिर से फ़ोन आ गया कि पापा ये kitchen की pipe block हो गयी है, क्या करूँ?? और सहगल जी मुस्कुराते हुए customer केयर support की तरह दोनों बच्चों को solution देते हुए बहुत गोरन्वित महसूस कर रहे थे और mrs. सहगल मुस्कुराते हुए चाय की चुस्कियां ले रही थीं।

Written by Geetanjli Dua