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घर की मुर्गी दाल बराबर | Hindi Family Story | Emotional Story

Hindi Family Story

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आज साक्षी को समझ नहीं आ रहा था कि उसको गाडी चलाना आना उसके लिए फायदेमंद था या दूसरों का उसे “ TAKEN FOR GRANTED” लेने का एक जरिया था।साक्षी जब छोटी थी तो उसकी सारी सहेलियों में सबसे पहले उसके पापा ने उसे साइकिल चलाना सिखाया था।बचपन में जब वो साइकिल सीखने पापा के साथ जाया करती थी और उसे चोट लगती थी तो वह मन ही मन अपने पापा को कोसती थी कि क्या जरुरत है रोज सुबह मेरी नींद खराब करके मुझे साइकिल चलवाने की, मेरी  बाकी सहेलियों को भी तो साइकिल चलानी नहीं आती, मगर उससे कोई फर्क नहीं पड़ता आखिर स्कूल तो रिक्शा से ही जाना होता था।

Written by Geetanjli Dua