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मुसाफिर हूँ यारों ,मुझे बस चलते जाना है | Heart Touching Story of Sacrifice

Heart Touching Story of Sacrifice

Motivational Story Hindi Me
Motivational Story Hindi Me

Heart touching Story on Sacrifice में पढ़ें कैसे हम अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।

शिखा को अचानक एहसास हुआ कि उसके बिना किसी की ज़िन्दगी रुक नहीं जायेगी बस हल्का सा बदलाव ज़रूर आएगा ।

शिखा…शिखा चलो पहुँच गए हम, कहाँ खोयी हुई हो ? शिखा ने आँखें खोली तो वो बॉम्बे पहुँच चुकी थी और उसे तब एहसास हुआ जब ऋचा ने उसे हिलाया क्यूँकि वो तो तब ”मुसाफिर हूँ यारों “ गाना सुनने में व्यस्त थी और उससे खुद को कनेक्ट कर रही थी ।

शिखा की जब से शादी हुई थी तब से ही उसकी लाइफ इतनी व्यस्त हो गयी थी कि उसने कभी रुकना नहीं सीखा था । हमेशा आगे बड़ते रहने वाली शिखा अपने आप से ही पिछड़ती जा रही थी क्यूँकि उसके पास सबके लिए टाइम था सिर्फ अपने अलावा, वो कभी भी खुद के लिए टाइम नहीं निकालती थी चाहे संस्कार कह लो या वक़्त की मार । शिखा के दो बच्चे थे नौकरी और घर की जिम्मेदारियों के साथ उसने उन्हें भी अच्छे से संभाल रखा था ।

जब जब शिखा घड़ी की तरफ देखती वो खुद को उससे भी तेज़ चलता महसूस करती और आज जब वो बॉम्बे एक मीटिंग अटेंड करने गयी तो वक़्त भी रुक गया और वो भी क्यूँकि उसके सर पर आज कोई ज़िम्मेदारी नहीं थी तभी वो सुकून से वो गाना सुन रहीथी। ऋचा और शिखा एक साथ एक कंपनी में जॉब करती थीं और अच्छी दोस्त भी थीं, शिखा ने बीच में बच्चे होने के टाइम पर ब्रेक लिया था और काफी टाइम बाद ज्वाइन किया, तब से उसकी ज़िन्दगी बस भाग रही है । शिखा में एक कमी थी कि वो किसी भी चीज़ को ना नहीं कहती थी उसका ये मानना था कि अगर हम खुद ना सुनना पसंद नहीं करते तो हम ना कहें क्यूँ और इसी चीज़ की वजह से उसे ज़रुरत से ज्यादा काम करना पड़ता था।

Heart touching Story on Sacrifice

शाम को शिखा की मीटिंग थी, अगले दिन Mumbai दर्शन और उसके बाद वापिस अपने शहर लेकिन शिखा कभी बच्चों से दूर नहीं रही थी इसलिए तुरंत उन्हें फ़ोन मिला लिया और पूछा क्या कर रहे हो तो पता लगा बड़ी बेटी को पापा ने पैसे दे दिए थे सो उसने स्कूल कैंटीन से खाना खा लिया, छोटे बेटे को भी चिप्स और choclates मिल गयीं थीं तो वो भी खुश था और रही बात पतिदेव की तो वो तो ऑफिस से ही खाकर आ गए थे।

Heart touching Story on Sacrifice
Heart touching Story on Sacrifice

शिखा को अचानक एहसास हुआ कि उसके बिना किसी की ज़िन्दगी रुक नहीं जायेगी बस हल्का सा बदलाव ज़रूर आएगा पर शायद वो भी अच्छा हो क्यूँकि बच्चे बहुत खुश नज़र आ रहे थे। ऋचा आई और बोली जल्दी कर मीटिंग के लिए निकलना है और शिखा ने बाय कहकर फ़ोन काट दिया और जल्दी से रेडी होने लगी।

Heart touching Story on Sacrifice

मीटिंग चल रही थी लेकिन शिखा का ध्यान कहीं और था, वो सोच रही थी कि हर कोई इस दुनिया में एक मुसाफिर है, हम सभी को बस चलते जाना है और एक दिन इस सफ़र का अंत हो जाएगा,कल किसी ने नहीं देखा तो इस तरह जीवन बिताने का क्या फायदा, काम तो चलता रहता है अगर जिंदगी अभी नहीं जी तो बाद में पछतावा होगा।

अगले दिन जब वो घूमने गए तो शिखा ने ऋचा के साथ खूब मस्ती की और अपनी फोटोज भी भेजी घर,

सौरभ( शिखा के पति ) और ऋचा दोनों ही चहकती हुई शिखा को देख कर खुश थे।

कैसी लगी आपको Heart Touching Story of Sacrifice.

अगर आप सफल होना चाहते हैं तो सुनें https://www.youtube.com/watch?v=LocrbBu4xQ4&list=UUP-MXuuBMRwtojnklGmCZfw&index=4

Written by Geetanjli Dua