Emotional Family Love Story in Hindi में पढ़ें कैसे हम एक कदम उठाकर किसी को खुश कर सकते हैं।
माँ की आँखों में आंसूं आ गए और अनुपम ने माहोल बदलते हुए बोला हां माँ आपके बहाने मैं भी अच्छा सा डिनर कर पाउँगा।
रति को सोसाइटी के बाहर खड़े देख सब बातें बना रहे थे और चारों तरफ कानाफूसी चालू थी, पर रति ने किसी की भी परवाह नहीं की और जिस काम के लिए आई थी वो निपटा कर चलती बनी।
सुनीता जी जब से विधवा हुईं थीं बहुत अकेली पड़ गयी थीं क्यूँकि उनके बेटे का अमेरिका में एक road accident हो गया था और वहीँ पर मृत्यु भी हो गयी थी , क्यूँकि वो बहुत दूर थे तो अंतिम कार्यक्रम पर नहीं पहुँच पाए थे और इस चीज़ के दुःख ने अन्दर ही अन्दर सुनीता जी के पति को खोखला कर दिया और हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गयी । सुनीता जी पर तो जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि किस्मत ने उनके साथ ऐसा बुरा मज़ाक क्यूँ किया, ले दे कर रति ही बची थी उनके आंसूं पोछने के लिए ।
Emotional Family Love Story in Hindi
रति उनकी बड़ी बेटी थी और अनुपम(पति) के साथ वो बंगलोर में रहती थी, कुछ दिन तक तो रति माँ के साथ रही पर अब उसे भी अपनी गृहस्थी संभालनी थी तो वो अपनी माँ से साथ चलने की जिद करने लगी पर सुनीता जी ने मन कर दिया और उसे वापिस विदा कर दिया। रति जब बंगलौर वापिस गयी तो दो चार महीने बाद उसकी तबियत खराब रहने लगी जब डॉक्टर को दिखाया तो उसने बताया कि रति माँ बनने वाली है, ये उसके लिए बहुत ख़ुशी का मौका था और उसने ये ख़ुशी अपनी माँ के साथ सांझा की ।
सुनीता जी अपनी बेटी की खुशखबरी सुनकर बहुत खुश थी पर बेटी की तबियत को लेकर चिंतित भी थीं, जब deleivery का वक़्त आने वाला था तो रति को डॉक्टर ने बेड रेस्ट बता दिया । अब रति ने अपनी माँ को अपनी तबियत का हवाला देकर अपने पास बुला लिया और सुनीता जी भी मन नहीं कर पायीं I सुनीता जी रोज़ तोरी, लोकी, टिंडे यही सब्जियां बनातीं क्यूँकि रति को डॉक्टर ने इन्ही सब्जियों के सेवन के लिए कहा हुआ था और खुद भी वही सब्जियां खाती क्यूँकि अलग से सब्जी बनानी नहीं होती थी , अनुपम ऑफिस में ही नाश्ता और लंच करते थे ।
रति ये सब रोज़ देखती और सोचती कि जब पापा थे तो माँ रोज़ इतना टेस्टी खाना बना कर उन्हें खिलाती थीं और अब मेरी वजह से रोज़ ये क्या खाना पड़ रहा है उन्हें, और रति ने पर्स उठाया, बिल्डिंग के नीचे गयी और पहचान के सब्जी वाले से पसंद की सब्जी खरीदने लगी।
सारी सोसाइटी की औरतें कानाफूसी करने लगीं कि इसे तो बेड रेस्ट बताया था और ये यहाँ ऐसी सब्जियां खरीद रही है जो इसे मना हैं, पर रति ने इसकी परवाह नहीं की और सब्जियां लेकर ऊपर चली गयी। माँ ने रति को ऐसे देखा तो बहुत डाटा कि मुझे साथ क्यूँ नहीं ले गयी और ये सब सब्जियां तुझे मन है खाने के लिए तो रति ने कहा कि आप बनाओ मेरी डॉक्टर से बात हो गयी है है मैं कभी कभी खा सकती हूँ। ऐसी हालात में रति की इच्छा पूरी तो करनी थी तो सुनीता जी ने बहुत ही टेस्टी सब्जियां बनायीं और शाम को पार्क में सैर करने चली गयीं ।
अनुपम आये तो बोले बहुत अच्छी खुशबू आ रही है मम्मी जी आज लोकी में कौन सा मसाला डाला है, तो उन्होंने सारी बात बतायी । रति दोनों को खाने की टेबल पर बैठाते हुए बोली मैं अभी आपके लिए खाना लाती हूँ , दो प्लेट्स में उसने वो खाना परोस दिया , माँ ने रति से पूछा तुम्हारा खाना तो रति ने अपने लोकी वाला बोल आगे कर दिया और बोली , माँ मैं बीमार हूँ आप नहीं तो आप रोज़ ये सब क्यूँ खायेंगी।अनुपम तो ऑफिस में रोज़ अच्छा खा लेते हैं और डिनर भी कम ही करते हैं लेकिन आप तो पापा के लिए इतना टेस्टी खाना बनाती थीं फिर मेरी वजह से तीनो टाइम बिना शिकन के ये सब क्यूँ खा रही हैं ।
माँ कभी तो आलू, कटहल, भिन्डी भी खाओ न मैं जानती हूँ तुम्हे बहुत पसंद है। माँ की आँखों में आंसूं आ गए और अनुपम ने माहोल बदलते हुए बोला हां माँ आपके बहाने मैं भी अच्छा सा डिनर कर पाउँगा वर्ना ये पता नहीं कब तक ऐसा बोरिंग खाना खिलवाएगी हम दोनों को और ये सुनते ही सब हस दिए ।
कैसी लगी आपको Emotional Family Love Story in Hindi