Emotional Love Story in Hindi में पढ़ें एक पत्नी की कहानी ।
पिता ने दहेज़ में मुझे इतना कुछ दिया है कि मेरा घर आज सजा हुआ है ।
शालिनी बहुत खुश थी और अपनी पसंद का गाना गुनगुना रही थी तभी शेखर घर आ गया और बोला आज बहुत खुश हो ? शालिनी ने शेखर की तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोली मैं अपनी माँ के पास जा रही हूँ इसलिए बहुत खुश हूँ , जैसे तुम अपने मायके जाने के नाम पर चहकने लगते हो। शेखर बोला कब का प्रोग्राम है मैडम का तो शालू बोली परसो जाउंगी।
अच्छा सुनो , शाम को बाहर जाते समय पैसे निकलवाते लाना !! जैसे ही शालिनी ने बोला शेखर तुरंत बोल पड़ा क्यों? पैसे क्या करने हैं ? शेखर का सवाल सुनते ही जैसे शालू के मूड की ऐसी तैसी हो गयी। “क्यों का मतलब” शालू ने पलटकर पूछा । अरे स्वीटहार्ट मेरा मतलब मायके जा रही हो तो पैसों का क्या करोगी , तुम्हारे मम्मी तो बेटी के घर से कुछ लेते नहीं और जो बेटी को देते पैसे नहीं लेते तो फिर पैसे का क्या करोगी ? शालिनी को शेखर की इन चिकनी चुपड़ी बातों पर बहुत गुस्सा आया और शेखर की बाहें जो उसने बहलाने के लिए शालिनी के गले में डाली थीं उन्हें झटकते हुए शालिनी तुरंत बोली चलो रहने दो मत निकलवाना पैसे !!
मैं एक काम करुँगी जो भी खर्चा होगा पापा से ले लूंगी और और कहूँगी थोड़े बहुत शेखर के लिए भी दे दो और ऐसा कह कर वो किचन की तरफ चली गयी । ऐसा सुन कर तो मानो शेखर के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी और वो शालिनी के पीछे पीछे भागा और बोलै ” ये क्या कह रही हो तुम “? पागल हो गयी हो क्या ?मुझे क्या कमी है जो मैं उनसे पैसे लूँ ?
शालिनी ने दाल का कुकर गैस पर चढ़ाया और मन मन ही मन सोचा कि शायद अब उसकी दाल गल गयी है , तो पीछे मुड़कर बोली यही तो मैं कह रही हूँ कि तुम्हे क्या कमी है जो तुम उनसे खर्चा करवाने की बात कह रहे हो ?” मैं तो बस “, मैं तो बस क्या शेखर शालिनी ने मुँह घुमाते हुए कहा वैसे तुमसे जो पैसे मैं मांग रही थी वो तुम्हारे घर की शॉपिंग करने के लिए ही मांग रही थी ।
Emotional Love Story in Hindi
शालिनी ऐसा कहकर वहां से चल पड़ी तो शेखर ने पूछा कहाँ चली ? तो शालिनी बोली मैं घर पर फ़ोन करके मन करने जा रही हूँ कि इस बार शेखर का हाथ थोड़ा तंग है तो मैं नहीं आ पाऊँगी और अब मैं work from home जैसे online coaching की तरह कुछ शुरू करुँगी और अपने पैसे से खर्चा करुँगी । “अब तुम हद कर रही हो शालू !!नहीं शेखर हद तुमने पार की है, तुम ये सोच भी कैसे सकते हो कि जिस पिता ने दहेज़ में मुझे इतना कुछ दिया है कि मेरा घर आज सजा हुआ है ।
वो मेरे छोटे मोटे खर्चे से कतराएंगे , लेकिन अब वक़्त आ गया है अपनी काबलियत साबित करने का और अपने दम पर कुछ कर दिखाने का!! अब मैं cuemath के ज़रिये बच्चों को पढ़ाऊंगी और अपनी इनकम बनाउंगी , तो अब मैं मायके नहीं जाउंगी तू देखते रहियो !! शालिनी ऐसा कह कर शेखर को चिढ़ा कर वहां से चली गयी और शेखर वहीँ खड़ा उसके बारे में सोचता रह गया ।
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