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आखिरी ठिकाना- Hindi Kahani | Emotional Couple Story in Hindi

Heart Touching Couple Story in Hindi

Emotional Couple Story in Hindi
Emotional Couple Story in Hindi

Emotional Couple Story in Hindi दर्शाती है नमित और शिवानी के जीवन के संघर्ष को |

नमित और शिवानी की शादी को आज 20 साल पूरे हो गए थे लेकिन शिवानी ने आजतक खुद को इतना बेबस कभी महसूस नहीं किया था । सब कुछ होते हुए भी शिवानी को ना जाने किस बात का गम था|

शिवानी को सब कुछ मिल गया था जो उसने चाहा था लेकिन कहीं ना कहीं कुछ कमी थी जो उस को खल रही थी और वो कमी थी नमित की, नामित के साथ की। शिवानी एक छोटे शहर से आई थी और उसे इस शहर के नए तौर तरीके खूब रास आ रहे थे लेकिन कहीं ना कहीं नमित की तनख्वाह कम पढ़ रही थी उसकी ख्वाहिशें पूरी करने में, पर नमित खुश था अपनी छोटी सी गृहस्थी में।

20 साल पहले जब शिवानी को देखने नमित आया था तो उसने कहा था कि उसके ऑफिस वाले लोग बहुत पार्टियां करते हैं लेकिन उसको ये सब पसंद नहीं है। वो एक छोटी सी प्यारी सी ज़िन्दगी की ख्वाहिश रखता था| शिवानी को तब तो उसकी सादगी बहुत पसंद आई थी और उसने झट से शादी के लिए हाँ कर दिया था। शिवानी जब शादी कर के नामित के साथ रहने लगी तो कुछ दिन तक सब ठीक रहा लेकिन फिर धीरे धीरे सब को देख देख कर शिवानी को लगने लगा कि उनका स्टैण्डर्ड सब से मेल नहीं खाता।

अब शिवानी जब भी नामित के साथ कहीं बाहर खाना खाने जाती तो नामित उससे ढेर सारी बातें करता लेकिन शिवानी हमेशा कहीं खोयी रहती थी। नामित को समझ नहीं आ रहा था कि जिस शिवानी से वो मिला था ये वो शिवानी नहीं है। एक दिन नमित ने शिवानी को बैठा कर पूछा कि आखिर तुम्हे क्या हो गया है तुम ऐसे क्यूँ रहती हो तब शिवानी ने बताया कि मुझे एक अच्छा लाइफस्टाइल चाहिए, इस तरीके से मैं नहीं रह सकती जैसे हम रह रहे हैं। शिवानी यही तो हम चाहते थे ना एक खुशहाल जीवन और हम खुश हैं, एक दुसरे के साथ हैं और मुझे लगता है अब हमें फैमिली भी प्लान कर लेनी चाहिए।

नहीं नमित! हम फैमिली तभी आगे बढ़ाएंगे जब तुम एक अच्छी सी नौकरी पकड़ोगे और तुम्हारी अच्छी तनख्वाह होगी वर्ना इस सैलरी में तो हम दोनों का गुज़ारा ही बड़ी मुश्किल से चलता है। शिवानी हम खुश ही हैं और तुम्हे क्यूँ ऐसा लगने लगा है कि हम अपना परिवार अच्छे से नहीं चला पायेंगे? बस नमित मुझे कोई बहस नहीं करनी मैं अपना फैसला नहीं बदलूंगी।

नमित ने शिवानी को विश्वास दिलवाया कि वो नौकरी बदल देगा और जैसा शिवानी चाहती है वो वैसा ही करेगा। सच नमित! कहते हुए शिवानी नमित के गले लग गयी लेकिन उसके दिल में उठ रहे तूफ़ान को नहीं पहचान सकी| अब नमित ने नौकरी बदल दी और धीरे धीरे वो इतना व्यस्त रहने लगा कि रात को देर से घर लौटने लगा पर पैसा आने लगा था । शिवानी खुश थी, अब वो एक बेटे की माँ थी और जो ऐशो आराम उसे चाहिए थे वो सब नमित ने उसे ला कर दिया। उन्होंने बंगला ले लिया था, नौकर चाकर, गाड़ी सब था उनके पास। बेटा बड़ा  हो गया था और पढ़ने के लिए विदेश चला गया था और शिवानी इतने बड़े बंगले में अकेले रहने लगी थी। नमित काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहने लगे थे।

एक दिन शिवानी अकेली खड़ी अपने गार्डन को देख रही थी तो उसने नमित को फ़ोन किया और पूछा कि आप किस टाइम तक आयेंगे तो नमित ने जवाब दिया कि आज मैं जल्दी घर आ जाऊँगा और हम डिनर साथ में करेंगे। शिवानी खुश हो गयी और जल्दी से खाने की तैयारियों में लग गयी, खानसामे को उसने खाना बनाने के लिए मन कर दिया और बोला आज मैं खुद नमित के लिए खाना बनाउंगी जैसे पहले बनाती थी। आज हमारी 20वी सालगिरह है और आज मैं नमित को बोलूंगी कि कुछ दिन के लिए ऑफिस से छुट्टी ले लें।

2 घंटे बाद घर की घंटी बजी तो शिवानी ने दरवाज़ा खोला और उन्हें एक गुलदस्ता और गिफ्ट दिया और बोला सर ने भेजा है आपके लिए। सर को अचानक से मीटिंग के लिए निकलना पड़ा और उनका फ़ोन भी सही नहीं है तो मुझे बोला है आपको बताने के लिए। शिवानी ने थैंक यु बोला और अन्दर चली गयी, जब गिफ्ट खोला तो देखा उसमे हीरों का हार था और नीचे पेपर पर लिखा था” सालगिरह मुबारक हो’ तुम्हारा नमित!!

तुम मेरे नहीं रहे नमित, तुम मेरे पास ही नहीं हो और वो रोने लगी। जब वो शीशे के सामने गयी तो उसने सोचा कि आखिर यही सब तो चाहा था मैंने और यही सब मुझे मिल गया। मैं शायद नमित की गुनहगार हूँ क्यूंकि उसने ऐसा कभी नहीं चाहा था पर मेरी वजह से आज वो ये सब कर रहे हैं, उन्होंने सिर्फ मेरा साथ चाहा था लेकिन मैंने ही उन्हें इस ज़िन्दगी में झोंक दिया।“ मुझे माफ़ कर दो नमित, अब जब तुम आओगे तो मैं तुमसे माफ़ी मांग लूंगी और हम पहले की तरह साथ रहेंगे क्यूंकि मुझे नमित चाहिए, नमित के दिए हुए महंगे तोहफे नहीं” ऐसा सोचते सोचते शिवानी रोने लगी और अपने कमरे में अकेले जाकर सो गयी ।

Written by Geetanjli Dua