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हर रिश्ता सम्मान चाहता है- Hindi Kahani | Hindi Family Story

Emotional Story about Family in Hindi

Family Hindi Story
Family Hindi Story

Hindi Family Story में आप पढेंगें कि हर रिश्ते में अगर सम्मान है तभी वो लम्बे समय तक चल सकता है।

ठोकरें लगना अच्छी बात है लेकिन अगर ठोकरों से शरीर ज्यादा चोटिल हो जाए तो सबक लेकर आगे बढ़ना भी ज़रूरी हो जाता है ।

मालिनी जब भी कभी अपने माता पिता के घर जाती थी तो उसका सामान पहले से दोगुना होकर आता था लेकिन उसने कभी भी अपने ससुराल में ये जताया नहीं क्यूंकि मायका भी उसका, माँ बाप भी उसके और सामान भी उसका तो जताना कैसा?

मालिनी का एक भाई था जिसकी शादी बहुत पहले ही हो चुकी थी और वो अब दुसरे शहर में अपनी पत्नी के साथ रहता था क्यूंकि नौकरी ने आजकल सब को बंजारा बना दिया है, जब वो माता पिता के साथ ही रहता था तो मालिनी जब भी फ़ोन करती थी तो सबसे बात हो जाती थी, देवेश( मालिनी का भाई), रीटा( भाभी), तोलु, मोलू(उनके बच्चे) जबसे दुसरे शहर में गए हैं तब से बातों का सिलसिला कुछ कम हो चला है ।

देवेश जब भी फैक्ट्री जाता था अक्सर फ्री होने पर मालिनी को कॉल कर लेता था लेकिन रीता हमेशा व्यस्तता का बहाना करके छूट जाती थी । मालिनी जब भी घर कॉल करती तो सब से बात किया करती थी चाहे फिर वो तोलु मोलू हों या भाभी पर धीरे धीरे उसे ये एहसास होने लगा कि कहीं उसका बार बार कॉल करना उसकी भाभी को पसंद ना आता हो तो उसने स्वत ये कॉल का सिलसिला कुछ कम कर दिया ।

स्वीटी(मालिनी की जेठानी) अपने परिवार में और बच्चों में ही व्यस्त रहती थी । मालिनी को वहां से भी कोई उम्मीद नहीं थी क्यूंकि मालिनी उसको गलत नहीं मानती थी बस ढलती जा रही थी इस दुनियादारी में पर ऐसे में वो बहुत मिस करती एक हमउम्र बहन को जिसको शायद कॉल करना उसे कभी बुरा ना लगता पर ”हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार ज़िन्दगी में” और धीरे धीरे मालिनी ने भी खुद को व्यस्त कर लिया इस भागती दौड़ती ज़िन्दगी में !!

एक दिन मालिनी ने अपने घर किटी पार्टी रखी थी और उसके लिए उसने सत्संग का आयोजन किया था तो उसने स्वीटी को अपने घर बुलाया हुआ था । स्वीटी का पति उसे मालिनी के घर छोड़कर ऑफिस के काम के लिए चला गया और बोल के गया कि मैं थोड़ी देर तक आ जाऊँगा, स्वीटी ने देखा कि अर्जुन( उसका पति) को आने में अभी टाइम लगेगा तो उसने मौके का पूरा फायदा उठाया और बच्चों के साथ गप्पे मारने बैठ गयी, मालिनी जो काम कहती वो स्वीटी कर देती और फिर आकर बैठ जाती तो साफ़ पता चल रहा था कि वो जो भी कर रही है मजबूरी में कर रही है तो मालिनी ने उससे कुछ नहीं कहा और सारा काम जल्दी जल्दी निबटाने लगी।

सत्संग शुरू हुआ औरतें आने लगी और थोड़ी देर में अर्जुन भी आ गया तो स्वीटी ने उसे देखते ही काम करना शुरू कर दिया और औरतों के बीच कानाफूसी भी शुरू हो गयी कि मालिनी की मौज है उसे स्वीटी का सहारा मिल जाता है हमें तो सब कुछ अकेले ही करना पड़ता है। ये सब बातें मालिनी के कानों में पड़ीं तो उसे बहुत बुरा लगा क्यूंकि सारा काम उसने खुद ही किया था पर उसने इस बात पर चुप रहना ठीक समझा ।

कुछ दिनों बाद मालिनी की भाभी का जन्मदिन था तो मालिनी ने उसे बहुत अच्छे से मुबारकबाद दी और उसके दुसरे शहर में होने के बावजूद उसके लिए अच्छा सा तोहफा लेकर गयी लेकिन उस दिन उसकी भाभी ने उससे बहुत अच्छे से बात नहीं की तो उसे लगा कि शायद किसी बात से उनका मूड ठीक नहीं होगा लेकिन कई बार उसने ये देखा कि जब उसका भाई सामने होता था तो भाभी अच्छे से बात करती थी लेकिन जब वो सामने नहीं होता तो उसे मूड खराब होने का नाटक देखना पड़ता था।

मालिनी एक दिन बहुत उदास बैठी थी तभी उसकी सहेली आ गयी तो मालिनी ने उसका स्वागत किया और उसके लिए चाय बनाकर सब कुछ नार्मल दिखाने लगी तो उसकी सहेली ने पूछा कि कुछ बात है जो तुम्हे परेशान कर रही है तब मालिनी ने उसे सारी बात बतायीI उसकी सारी बातें सुनने के बाद शनाया(उसकी सहेली) ने कहा- देखो मालिनी सम्मान हर रिश्ते में होना चाहिए फिर चाहे वो छोटा हो या बड़ा और अगर सामने वाले को आपका सम्मान करना नहीं आता तो आपको भी एक कदम पीछे हटाकर उसे ये एहसास दिलवा देना चाहिए।

अब मालिनी को समझ आ गया था कि उसे क्या करना है, अगले दिन स्वीटी के बेटे का बर्थडे था तो मालिनी वहां गयी और ये बोलकर बैठ गयी कि उसकी तबियत ठीक नहीं है और चक्कर आ रहे हैं बस भैया के जिद करने पर आई हूँ । स्वीटी ने जो काम मालिनी के हिस्से के लिए छोड़े हुए थे वो उसे खुद करने पड़े, ऐसे में उसका चेहरा उतर गया और जैसे ही उनके सास ससुर आये तो मालिनी बोली मुझे अब थोडा अच्छा लग रहा है मुझे बताओ ना क्या काम करना है, ऐसे में उसकी सास ने कहा हमारी मालिनी बिना तबियत की परवाह किये हमेशा दूसरों के बारे में सोचती है तो स्वीटी के कानों में भी ये बात पड़ी और उसे बुरा लगा लेकिन मालिनी को शनाया की बातों का असर होते दिख रहा था।

कुछ दिनों बाद मालिनी के पास उसकी भाभी का फ़ोन आया कि मुझे किसी मीटिंग के लिए जाना है  तो आप अगर घर पर हो तो मैं वहां से होते हुए निकल जाउंगी  तो इसी बहाने मिलना भी हो जाएगा और मीटिंग से पहले का टाइम भी कट जाएगा तो मालिनी ने तुरंत कहा कि भाभी मेरी तो कल क्लास है मुझे उसके लिए अपनी जेठानी के घर जाना है तो मैं तो नहीं मिल पाउंगी, सॉरी !! मालिनी की बात सुनकर रीता को बुरा लगा तो उसने ठीक है कहकर फ़ोन रख दिया पर मालिनी के पति को समझ नहीं आया कि उसने ऐसा क्यूँ किया पर मालिनी को समझ आ गया था कि अब से उसे किसके साथ और क्या करना है आखिर सम्मान पाना सबका अधिकार है।

अगर आप जानना चाहते हैं कि रिश्तों में सम्मान और ख़ुशी कैसे बनायी राखी जा सकती है तो सुनें https://youtu.be/cIphsKvgZXw

Written by Geetanjli Dua