Emotional Family Story in Hindi
राधा एक सयुंक्त परिवार की लड़की थी और बहुत ही मस्त मौला थी। राधा के परिवार में उसकी दादी, दादा, चाचा चाची मम्मी पापा व भाई-बहन थे।राधा एक छोटे से शहर की लड़की थी, कॉलेज पास करने के बाद अब वह उसी शहर में एक जॉब करती थी। घर में इतने लोग होने के बावजूद एक खुशी का माहौल रहता था। सभी लोग बहुत अच्छे स्वभाव के थे और एक दूसरे का ख्याल रखते थे।
दादाजी आर्मी से रिटायर्ड थे और घर पर ही रहते थे, पापा और चाचा जब भी शाम को घर लौटते तो आते वक्त सबके लिए रोज कुछ ना कुछ लेकर आते थे। कभी आइसक्रीम ब्रिकवाली, कभी खूब सारे समोसे, चाट पकौड़ी तो कभी 5-5 किलो के तरबूजI परिवार बड़ा था इसलिए हर चीज का साइज भी दोगुना आता था। 1 दिन घर में राधा के लिए रिश्ता आया, लड़का बहुत ही अच्छी जॉब करता था और बड़े शहर में रहता था। लड़के से मिलने के बाद परिवार वालों और राधा की सहमति के बाद रिश्ते के लिए हां कर दी गईI लड़के वालों का मुंह मीठा कराया गया और जैसे ही राहुल के आगे समोसे की प्लेट की गई राहुल ने समोसा तोड़ा और आधा समोसा उठा लिया।
राधा की बहनों ने राहुल को छेड़ते हुए कहा कि जीजाजी यह क्या? आप तो समोसाभी आधा खाते हैं, हमारे यहां तो दो समोसे खाने का चलन है, कहीं ऐसा ना हो कि हमारी दीदी आपके घर भूखी ही रह जाए। लड़कियों की बातें सुनकर सारा माहौल ठहाकों से भर गया और राहुल का चेहरा लाल हो गया।
धीरे-धीरे परिवार में शादी की तैयारियां होने लगी और शादी का दिन आ पहुंचाI राधा और राहुल की जोड़ी बहुत अच्छी लग रही थी, विदाई का समय आया और राधा लाल जोड़े में सजी हुई दुल्हन की तरह राहुल के घर के लिए विदा हो गई। राहुल की मां ने राधा का बहुत अच्छे से स्वागत किया, शाम को मुंह दिखाई की रस्म हुई तो घर में पड़ोस की बहुत सारी औरतें राधा से मिलने आई।
उनके सामने चाय नाश्ते में समोसों का इंतजाम किया गया था, जैसे ही समोसों की प्लेट सब के आगे घूमते-घूमते राधा के पास आई राधा ने जैसे ही समोसे की तरफ हाथ बढ़ाया उसे याद आया कि किस तरह राहुल ने समोसा आधा करके खाया था, तो उसने केवल समोसे का कोना तोड़कर खाना ठीक समझा।राहुल की मां राधा की समझदारी देखकर बहुत खुश हुई।
पड़ोस की औरतें अपने घर चली गई, राधा बहुत थक गई थी इसलिए मम्मी जी ने राधा को कमरे में जा कर आराम करने के लिए कहा।धीरे-धीरे राधा की नई गृहस्ती की शुरुआत हुई, राधा ने चौके में कदम रखा, और रसोई का पहला पकवान बनाया। राधा ने हलवा बनाया और जैसे ही सासू मां रसोई में आई तो वह यह देखकर हैरान रह गई की उनके घर बनने वाले हलवे से लगभग तिगुना हलवा राधा ने बनाया था। हलवे की खुशबू बहुत अच्छी थी और साथ ही रंग भी पक्का था लेकिन इतना सारा हलवा देखकर उन्हें बहुत गुस्सा आया परंतु बहू का पहला दिन होने की वजह से उन्होंने उसे कुछ नहीं कहा। सबने हलवा खाया और राधा की तारीफ की और साथ ही साथ राधा को नेग भी दिया।
राधा बहुत खुश थी पर उसे सासू मां के चेहरे पर कुछ मायूसी नजर आ रही थी, उसने इसे नजरअंदाज कर दिया और यह सोचा कि शायद वह थकी हुई है।अगले दिन राधा ने सब्जी बनाई और वह भी रोजाना बनने वाली सब्जी से 3 गुनाI अब सासू मां को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि घर में खाना खाने वाले तीन या चार लोग थे और सब्जी 10 से 12 लोगों के हिसाब से बनी हुई थी।हलवे का भी यही हाल था परंतु उन्होंने जैसे तैसे उस दिन संभाल लिया, बहू के हाथ का बना पहला हलवा उन्होंने पड़ोस के घरों में बांट दिया जिससे किसी को गलती का पता ना चल पाए, पर अब इतनी सब्जी का वह क्या करें उन्हें समझ नहीं आ रहा था।
राधा की सास ने यह बात उसके ससुर जी को बताई, ससुर जी ने हालात संभालने के लिए अपने 2-4 दोस्तों को खाने पर न्योता दे डाला। सब ने खाना खाया और राधा की बहुत तारीफ की। सबके जाने के बाद, राधा के ससुर जी ने उसकी सास को कहा कि वह राधा को अपने साथ फल खरीदने के लिए ले जाएं और राधा को अपने हिसाब से फल खरीदने देंI राधा की सास को उनकी बात समझ में नहीं आई पर उस समय वह” ठीक है” ऐसा कहकर राधा के साथ बाजार चली गई।
जब राधा फल खरीदने लगी तो राधा की सास ने देखा कि राधा हर प्रकार के फल अधिक मात्रा में ले रही थी, परंतु वह चुप रही और कुछ नहीं बोली। जब तरबूज लेने की बारी आई, तो राधा ने अपनी सास को कहा कि यहां पर तरबूज का साइज बहुत छोटा है, बड़े शहर में आते आते तरबूज का साइज छोटा हो जाता है, हमारे यहां तो 5 किलो से कम के तरबूज नहीं मिलते थेI उन्होंने राधा को तरबूज ना लेने की सलाह दी और घर की तरफ चल दी।
राधा की सास ने आकर उसके ससुर जी को सारी बात बताई, तो उन्होंने बहू को बुलाया और समझाया कि हमारे परिवार में खाने वाले केवल 4 लोग हैं और राधा क्योंकि एक संयुक्त परिवार से आई है इसलिए सारा खाना ज्यादा बनाती है। उन्होंने राधा से कहा की यह सच है की पहले परिवार बड़े हुआ करते थे और घर में आने वाला सामान भी ज्यादा मात्रा में लाया जाता था, तरबूज पहले बड़े आया करते थे आज उन्हीं तरबूजों ने न्यूक्लियर फैमिली का चलन देख कर अपना साइज़ छोटा कर दिया।
जैसे-जैसे परिवार छोटे होते जा रहे हैं, वैसे वैसे आम , तरबूज और केलों का साइज भी छोटा होता जा रहा है।ससुर जी ने राधा को हलवा, सब्जी और फलों वाली बात विस्तार से समझाई और कहा कि बेशक उनके घर छोटे साइज का तरबूज आता हो लेकिन उनके दिल का साइज राधा के मायके में आने वाले तरबूज के साइज जितना ही है। इतना सुनते ही राधा शर्म से लाल हो गई और तीनों ठहाका मारकर हंसने लगे, इतने में राहुल भी आ पहुंचा और सारी बात जानकर राधा की तरफ देखकर हंसा और बोला राधा कल हम मार्केट से 5 किलो का तरबूज लेकर आएंगे।
दोस्तों कैसी लगी आपको Emotional Family Story in Hindi
जानेअखरोट के फायदे https://www.youtube.com/watch?v=06_CqiRFlJY