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एक चिट्ठी बेटी की माता पिता के नाम | Emotional Story of Father and Daughter

Emotional Story of Family in Hindi

Emotional Story of Father and Daughter
Emotional Story of Father and Daughter

Emotional Story of Father and Daughter में पढ़ें एक बेटी का माँ बाप के नाम सन्देश।

एक औरत के लिए पैसे से बढकर जॉब उसके आत्मसम्मान की पहचान होती है ।

शालू एक बहुत बड़े घराने की लड़की थी और उसके पापा के पास बहुत नाम और पैसा था आखिर शहर के बड़े व्यापारियों में नाम था उनका और शालू के दो भाई थे एक उससे छोटा और एक उससे बड़ा। शालू घर में सबकी लाडली थी क्यूँकि चाचा ताऊ सबमें वो अकेली लड़की थी तो सब उसे बहुत प्यार करते थे शायद इसी वजह से उसकी हर इच्छा हमेशा पूरी की गयी ।

शालू जब बड़ी हुई तो उसके और भाई के लिए एकसाथ रिश्ते खोजे जाने लगे पर संजोग से भाई के लिए पहले लड़की मिल गयी तो उसकी शादी पहले कर दी। राधिका बहुत ही समझदार और सुलझी हुई लड़की थी और उसने घर की जिम्मेदारियां ऐसे संभाल ली जैसे पहले से ही उसकी सदस्य हो और सबकी चहेती बन गयी ।

राधिका ने जॉब के साथ साथ घर भी बहुत अच्छे से संभाल लिया था जबकि शालू को घर का काम पहले ही नहीं आता था और भाभी के आने के बाद वो और निश्चिन्त हो गयी थी। शालू की माँ उसे काम करने के बाद आराम करने का पूरा मौका देती जबकि राधिका एक फैशन डिज़ाइनर थी तो रात को देर तक काम करने के बावजूद उसे दिन में जल्दी उठकर kitchen में जाना होता था । राधिका की जॉब छूट गयी थी और उसकी सास बीमार हो गयी थी तो सारा घर हिल गया था, उब धीरे धीरे शालू पर भी जिम्मेदारियों का बोझ आने लगा था।

Emotional Story of Father and Daughter
Emotional Story of Father and Daughter

शालू की जब शादी हुई तो उसने अपनी जॉब जारी रखी और बस रात को ही थोडा बहुत काम करती थी तब एक दिन उसने अपने माता पिता को एक चिट्ठी लिखी :

प्यारे मम्मी पापा

जिस तरह आप मुझे प्यार करते हो मैं जानती हूँ आप राधिका को भी बेटी जैसा प्यार करते हो लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं है कि आप उस पर बेटी जैसी पाबंदियां भी लगाओ । मैं भी एक बहु हूँ और अगर मुझे भी जिम्मेदारियों के चलते अपनी जॉब छोड़नी पड़े तो शायद मुझे भी बुरा लगेगा तो राधिका को जॉब करने का अधिकार क्यूँ नहीं है, जानती हूँ आपको पैसे की कोई कमी नहीं है लेकिन एक औरत के लिए पैसे से बढकर जॉब उसके आत्मसम्मान की पहचान होती है ।

अगर मुझसे भी ये अपेक्षा की जाए की देर रात काम करने के बाद भी मुझे सुबह उठकर ऑफिस जाने से पहले हर हाल में kitchen संभालनी है तो शायद मैं भी बुरा महसूस करुँगी तो राधिका से देर रात designs पर काम करने के बावजूद ये उम्मीद क्यूँ की जाए कि वो दिन में भी रसोई संभाले जबकि वो शाम को आते ही kitchen में लग जाती है I थोड़ी बहुत आजादी की हक़दार वो भी है इसलिए जब वो दोनों पति पत्नी कहीं जाएँ आयें तो बिना अपनी राय दिए मंज़ूरी दे दिया कीजिये। बहु को बहु जितना ही रखिये बेटी मत बनाईये, बाकी आप खुद समझदार हैं ।

आपकी लाडली

शालू

दोस्तों कैसी लगी आपको Emotional Story of Father and Daughter

खुद से क्या झूठ बोले, सुनें https://www.youtube.com/watch?v=uHidtBIAam4

Written by Geetanjli Dua