ज़िन्दगी में सबसे ज़रूरी क्या है? बेशक, कामI काम न हों तो जीवन नीरस हो जाएI लेकिन जब बच्चों की बात आती है, तो हम क्या कहते हैं? अभी बच्चा है, खेलने- कूदने के दिन हैं, अभी से क्या काम कराना! और फिर जब वाही बच्चा बड़ा होकर कामों से जी चुराता है, जिम्मेदारियों से भागता है, तो हम ही हैरान होते हैं कि गलती कहाँ हो गयीI
क्यों ज़रूरी हैं काम?
1) काम बेहद महत्वपूर्ण व्यायाम है। बच्चा अपनी शर्ट के बटन लगा है या बोतल का ढक्कन बंद करता है, तो उससे हाथ और उँगलियों के संचालन पर उसका नियंत्रण बढता है। इसे मोटर डेवलपमेंट कहते हैं, जो दिमागी विकास से भी जुड़ा है।
2) काम करने के लिए एक जगह टिकना पड़ता है, ध्यान केन्द्रित करना पड़ता हैIछोटे- छोटे कार्य करते हुए बच्चे में ध्यान का विकास होता है।
3) काम काज में समस्याएँ भी आती हैं। उनके समाधान का कौशल मजबूत होता है, जो सफल जीवन के लिए एक अनिवार्य गुण है।
4) जब बच्चा काम कर लेता है, तो उसमें “मैं कर सकता हूँ” , “मैं काबिल हूँ” जैसे एहसास पुष्ट होते हैं। इससे उसका आत्मविश्वास बढता है। वह आगे की जिम्मेदारियों के लिए तैयार होता है। आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि अपना स्कूल बैग खुद जमाने का काम आगे चलकर किस तरह उसके carrier और गृहस्थी पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
5) कार्य से बच्चे में उत्सुकता और कल्पनाशीलता का विकास भी होता हैI
बच्चों में कैसे डलवायें आदत?
Kids Motivational Story in Hindi
1) कामों की शुरुआत बच्चे की खुद से जुडी जिम्मेदारियों से करेंI
2) 1-2 साल की उम्र से ही बच्चे को अपने छोटे छोटे काम करने दें। उसे खुद खाने दें। यह न सोचें कि वह खाना गिरा रहा है या बहुत समय लग रहा है, इससे तो बेहतर है कि मैं ही फटाफट खिला दूं। कभी कभार बच्चे को प्यार से अपने हाथों से खिलाना भी अच्छा है।
3) बच्चे से परिपूर्णता की उम्मीद न करें। यदि वह पानी की बोतल भर रहा है या आपको पानी का गिलास दे रहा है तो संभव है कि थोडा पानी छलक भी जाए। ऐसे में उसे टोके नहीं इससे उसकी दिलचस्पी ख़त्म हो जायेगी।
4) उसे यह कहने की बजाय कि तुम इस काम को अंजाम दो। उसे ये कहो कि आओ हम मिलकर ये काम करें। इससे टीम वर्क जैसे गुण बच्चे में आते हैं जो उसे आगे चलकर मदद करेंगे।
5) बच्चे से कोई भी काम सजा के रूप में ना करवाएं। जैसे तुमने ये शरारत की अब फ्रिज की सारी बोतलें तुम भरो। इससे काम उसके लिए सजा ज्यादा सबक कम होगा।
6) काम के मामले में इनाम से ज्यादा तारीफ असरदार होती है। काम के बदले यदि बच्चे की तारीफ कर दी जाए तो उसका होसला बड़ता हैI
7) काम करने की रूटीन होनी चाहिए। कभी कभार काम नहीं करना चाहिए, जैसे अगर बैग पैक करना है तो रोज़ करना है।
एक बार कविता अपने सवा साल के बच्चे को खाना खिलाने के बाद खुद खाना खाने बैठी। उसका पति राहुल जो खाना खा चूका था उठकर अपनी प्लेट सिंक में रखने के लिए जैसे ही मुड़ा, उसकी माँ (जो कुछ दिनों के लिए उनके घर रहने आई थी ) बोली बेटा रहने दो मैं रख देती हूँ। उसी वक़्त कविता ने कहा, मांजी इनको यह प्लेट रखने दीजिये ताकि मेरे बच्चे को भी यह पता चले कि बड़े होकर उसे भी घर के काम करने हैं यह सिर्फ औरतों की ज़िम्मेदारी नहीं है।
बचपन में किये हुए काम बच्चों का पूरा जीवन आसान बना सकते हैंI
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