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भरोसा और आशीर्वाद दिखाई नहीं देते लेकिन असंभव को संभव बना देते है|Hindi Story

Motivational Moral Story in hindi

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दोस्तों आज हम बात करेंगे भरोसे और आशीर्वाद की, जैसा कि सभी जानते हैं कि ईश्वर पर भरोसा और उसका आशीर्वाद कभी खाली नहीं जाताI आज हम बात करेंगे एक वैध जी की जिनका ईश्वर पर अटूट विश्वास था और उन्हें उसके दिए हुए आशीर्वाद पर अटूट भरोसा,  यह कहानी आशीर्वाद और भरोसे को सिक्के के दो पहलू की तरह प्रस्तुत करेगीI

एक बार एक वैध जी बहुत पुराने से मकान में रहते थे,  वह मकान काफी खंडहर हो चुका था और वह उसके पिछले हिस्से में रहते थेI  उन्होंने मकान के अगले हिस्से में एक दवाखाना खोल रखा थाI  रोज का एक नियम था कि जब भी वैध जी आकर दवाखाना  खोलते  उससे पहले ही उनकी पत्नी वहां पर एक पर्ची रख देती जिसमें दिन के  जरूरी सामान की लिस्ट होती थीI  वैध जी जैसे ही गद्दी पर बैठते थे,  सबसे पहले वह भगवान के आगे माथा टेकते थे और उसके बाद वह पर्ची उठाकर सारे जरूरी सामान की लिस्ट पढ़ते थे और फिर उसका हिसाब लगाते थेI यह उनकी दिनचर्या का एक हिस्सा थाI पर्ची पढ़ने के बाद वह मन ही मन भगवान से बातें करते कि प्रभु तेरी ही इच्छा की वजह से आज मैं दुनियादारी के चक्कर में पड़ गया हूंI

वैध जी का एक नियम था कि वह कभी भी किसी से उपचार की फीस नहीं मांगते  थे,  हर कोई अपनी श्रद्धा से उन्हें जितना बन  पड़े उतनी फीस दे जाता था,  यदि कभी कोई फीस नहीं भी देता था तो वह उससे फीस नहीं  मांगते थेI इस तरह कभी कोई फीस देता तो कभी कोई ना देता परंतु एक बात निश्चित थी कि जैसे ही उस दिन की सामग्री जो उनकी पत्नी ने लिस्ट में लिखी होती थी,  का खर्चा पूरा हो जाता था उसके बाद वह किसी से फीस नहीं लेते थे चाहे वह कितना ही धनवान व्यक्ति क्यों ना होI

Inspirational Story in Hindi
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एक दिन जैसे ही वैध जी ने दवाखाना खोला और गद्दी पर बैठ कर परमात्मा का स्मरण किया और पैसे का हिसाब लगाया,  तो वह चिट्ठी को देखते ही रह गएI चिट्ठी को देखकर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ  क्योंकि उसमें घर के राशन के बाद पत्नी ने लिखा था कि“बेटी का विवाह 20 तारीख को है,  उसके दहेज का सामान”I कुछ देर वैध जी सोच विचार करते रहे,  बाकी चीजों की कीमत लिखने के बाद दहेज के सामान के सामने लिख दिया -“यह काम परमात्मा का है तो परमात्मा जानेI”

वैध जी ने चिट्ठी को पास में रखा और मरीजों को दवा देना शुरू कियाI  जब वैध जी मरीज को दवाई दे रहे थे उसी समय उनके दवा खाने के सामने एक बड़ी सी कार आकर रुकी,  परंतु वैध जी ने कोई खास ध्यान नहीं दिया क्योंकि बहुत से कारों वाले लोग उनके पास दवा लेने पहले से ही आते थेI

जब उनके पास बैठे मरीज दवाई लेकर चले गए,  तब कार में से एक साहब निकले और नमस्ते कर के वैध जी के पास बैठ गएI वैधजी ने उन्हें कहा कि यदि वह मरीज हैं तो उनके पास आकर बैठे ताकि वह उनकी नब्ज़ देख कर दवा दे सकें और यदि वह किसी और के लिए दवा लेने आए हैं तो उनकी बीमारी विस्तार से बताएंI उन साहब का नाम राजाराम था और वैध जी की बात सुनकर वह मुस्कुराए और बोले दिव्या जी शायद आपने मुझे पहचाना नहीं और आप पहचान भी कैसे सकते हैं क्योंकि मैं 15 20 साल के बाद आपके दवा खाने पर आया हूंI

Motivational Story in Hindi
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राजाराम ने कहा कि मैं 20 साल पहले की घटना आपको याद दिलाता हूं शायद फिर आप मुझे पहचान लेंगेI उन्होंने बताया कि वह अपनी मर्जी से इस दवाखाने में नहीं आए थे बल्कि ईश्वर के द्वारा यहां लाए गए थे, क्योंकि ईश्वर उनका घर आबाद करना चाहता था इसलिए यह ऊपरवाले का एक इशारा ही थाI  उन्होंने बताया कि उसे मैं कार से अपने घर जा रहा था और बहुत तेज बारिश हो रही थीI वैध जी के दवा खाने के सामने उनकी कार पंचर हो गई और ड्राइवर ने उतारा और वह पंचर लगाने चला गया Iमैं कार के बाहर परेशान खड़ा था तभी आप सामने से आए और कहा कि यह मेरा दवाखाना है और आप परेशान ना हो वहां पर कुर्सी पर बैठ जाएं,  ड्राइवर को आने में देरी हो रही थी तो मैंने भी आपका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और आपके दवाखाने में आकर बैठ गयाI

उस समय एक छोटी सी बच्ची अभी यहां आपके पास खड़ी थी और बार-बार कह रही थी कि पिताजी जल्दी घर चलिए मुझे भूख लगी है  और आप  उसे रुकने के लिए कह रहे थेI मुझे बहुत अजीब लगा कि मेरी वजह से आप और आपकी बेटी खाना खाने नहीं जा पा रहे हैं तो मैंने सोचा कि क्यों ना मैं आप से कोई दवा ही खरीद लूंI मैंने कहा कि मैं पिछले 7 – 8 साल से विदेश में कारोबार कर रहा हूं,  विदेश जाने से पहले मेरी शादी हो चुकी थी परंतु मैं आज तक संतान का सुख नहीं प्राप्त कर पायाI मैंने हर जगह इलाज करवाया लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआI उस समय आपने मुझे ईश्वर पर भरोसा रखने के लिए कहा और उसके आशीर्वाद का इंतजार करने के लिए कहाI

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बातें करते करते आपने दवा तैयार कर दी और उसे दो हिस्सों में बांट दिया और एक लिफाफे पर आपने मेरा नाम और दूसरे पर मेरी पत्नी का नाम लिख दिया और उसे इस्तेमाल करने का तरीका बता दियाI मैंने  इच्छा ना होते हुए भी  वह दवा ले ली और जब आपसे उसकी फीस पूछी तो आपने कहा,  बस ठीक हैI मेरे बार-बार आग्रह करने पर आपने कहा कि आज का खाता बंद हो चुका है , मुझे कुछ समझ नहीं आया तभी मेरे पास बैठे एक आदमी ने मुझे बताया की आज के खर्चे के लिए वैध जी ने भगवान से जितनी खर्ची मांगी थी वह पूरी हो चुकी है इसके बाद वैध जी किसी से भी फीस नहीं लेतेI मैं आपका धन्यवाद करके वहां से चला गया और जब मैंने घर जाकर अपनी पत्नी को पूरी बात बताई तब मेरी पत्नी ने कहा कि शायद ईश्वर हमें कोई इशारा कर रहा है और वह वैध जी हमारी मुराद पूरी करने का एक ज़रिया  हैI

हमने उस समय दवाई ले ली और आज ईश्वर के आशीर्वाद और आपके भरोसे की वजह से मेरे घर में दो बच्चे हैं,  हम हर समय आपका धन्यवाद करते रहते हैं आज मैं काफी समय बाद भारत वापस लौटा हूं तो आपसे मिलने चला आयाI मेरा पूरा परिवार विदेश में रहता है बस मेरी एक मुंह बोली बहन है जो विधवा हो चुकी है और उनकी बेटी कि इस महीने 21 तारीख को शादी हैI आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की जब-जब मैं उसके लिए भात  का सामान  खरीदता था,  तब तब मुझे आपकी वह बेटी सामने दिखाई देती और मैं हर सामान दोहरा खरीद लेताI मुझे यकीन था कि शायद आप इतने सरल स्वभावके हैं कि आप मुझसे यह सामान ना लें परंतु जब मैं अपनी भांजी के लिए सामान  खरीदता था  और आपकी बेटी का चेहरा मेरे सामने आता था तो वह भी मेरी भांजी ही हुई और मुझे इस भांजी का भी भात का सामान देने का हक हैI

वैध जी की आंखों में आश्चर्य के साथ साथ एक नमी थी जो ईश्वर पर उनके अटूट विश्वास का सबूत थीI वैध जी ने कहा कि राजारामजी आप मेरी पत्नी के द्वारा लिखी गई इस चिट्ठी को पढ़िए,  उनकी पत्नी ने जहां दहेज का सामान लिखा था उसके सामने वैध जी ने लिख दिया था कि यह काम परमात्मा का है परमात्मा जानेI  वहां मौजूद हर व्यक्ति के आंखों में नमी थी,  वैध जी ने बताया कि आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि उनकी पत्नी ने कोई सामान चिट्ठी में लिखा हो और भगवान में उस सामान की व्यवस्था ना की होI

दोस्तों,  दुनियादारी की चकाचोंध में हम उस परमात्मा का आभार व्यक्त करना भूल जाते हैं जिसने हमारी हर जरूरत का ख्याल रखा बल्कि हम उस परमात्मा को होते हैं यदि हमारे साथ कुछ गलत हुआ है तो वह क्यों हुआ?

मेरी आप सब से गुजारिश है कि आप लोग दिन में जिंदा होने के लिए परमात्मा का आभार करें और रात को सोते समय दिन अच्छा गुजरने के लिए परमात्मा का धन्यवाद करेंI

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Written by Geetanjli Dua