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Ego मैनेजर- Hindi Kahani | Emotional Family Story in Hindi

Family Story in Hindi

Emotional Hindi Story
Emotional Hindi Story

Emotional Family Story in Hindi दर्शाती है पारुल के जीवन में क्या हो रहा है .

पारुल दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा, तुम मेनेजर क्या बनी हो तमीज भूल गयी हो बात करने की, ऐसा लगता है “Ego Manager” बन गयी हो !!

आज पारुल को बहुत हल्का महसूस हो रहा था क्यूंकि जिस दर्द और परेशानी को उसने अपने अन्दर सदियों से दबा रखा था इज्ज़त की पोटली के अन्दर उसे आज उसने आज़ाद कर दिया । पारुल की जब शादी हुई तो उसके माँ बाप ने एक शिक्षा उसको दी कि चाहे कुछ भी हो जाए अपने परिवार में adjust करना और कभी हमारा सर मत झुकने देना। पारुल ने अच्छी एजुकेशन ली थी और घर के काम काज भी अच्छे से संभालती थी क्यूंकि बचपन से ही उसे काम सिखाने पर ज़ोर दिया गया था जिस उम्र में उसके बराबर की लड़कियों को ये तक नहीं पता होता था कि अगर दाल बनानी है तो उसमें क्या चीज़ कब डालनी है ।

पारुल ने शुरू से ही एडजस्ट किया था, शादी के बाद उसे अपनी एजुकेशन को आगे बढाने का मौका नहीं मिला और अपने करियर पर भी रोक लगानी पड़ी पर जिस बात को उसने पत्थर की लकीर मान लिया था वो व्यस्त थी उसपर खरी उतरने में बिना ये सोचे कि उसके अन्दर की पारुल कहीं मर गयी है। खुद को अपने सपनों से दूर करके सबके लिए काम करना उसे अपनी ज़िम्मेदारी नज़र आने लगा ।

दो बच्चों की माँ बनने के बाद जब पारुल ने वापिस अपने कैरियर पर फोकस करना शुरू किया तो अलग तरह के challenges सामने आये बच्चे को छोड़कर जाना होता था, मुश्किल था लेकिन समाज ने तब भी उसे ही दोषी करार दिया लेकिन कहीं न कहीं शायद वो ये समझने लगी थी कि जब गलत हैं तो गलत बनकर भी देख लेना चाहिए क्यूंकि एडजस्ट करके भी कोई खिताब नहीं मिला तो गलत ही सही !!

Emotional Family Story in Hindi

पारुल अब कुछ नहीं सोचती थी किसी के बारे में उसे समझ आ गया था कि दुनिया से अगर उम्मीद रखी जाए तो वो कभी पूरी नहीं होती इससे अच्छा है उपरवाले से उम्मीद रखी जाए क्यूंकि देर सवेर वो ज़रूर सुनता है I एक दिन पारुल के पास फ़ोन आया कि वो मैनेजर की पोस्ट के लिए एक बड़ी कंपनी में नियुक्त हुयी है तो उसने ये खबर सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर की लेकिन वो हैरान थी देखकर कि किसी ने भी ज़हमत नहीं उठायी एक फ़ोन करके उसको बधाई देने की बल्कि वहीँ पर ही उसे बधाई देते रहे ।

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पारुल बहुत ही अनमने तरीके से सबको वहीँ धन्यवाद देती रही और साथ ही साथ उपरवाले को भी धन्यवाद देती रही कि अच्छा हुआ जो उसे दुनिया का ये चेहरा देखने को मिला और उसी दिन उसने खुद से वादा किया कि उसकी सबसे पहली ज़रुरत वो खुद है । पारुल जब अपने ससुराल गयी तो उसका मायका वहां से कुछ दूरी पर ही था तो उसकी सास ने उसे न जाने के लिए मजबूर किया तरह तरह के बहाने बनाकर, वो सब कुछ समझ भी पा रही थी देख भी पा रही थी लेकिन उसने भी नहले पे देहला रख दिया और बोली माजी मैंने सारा खाना बना दिया है।

अब ज़रा मायके हो आऊ क्यूंकि माँ कुछ सामान देने की बात कह रही थी , ऐसा सुनते ही पारुल की सास ने उसे जाने दिया । पारुल ने घर से बाहर निकलते ही आसमान की तरफ देखा और मुस्कुराई वाह प्रभु तेरी दुनिया, साथ ही साथ उपरवाले से माफ़ी मांगी इस चालाकी के लिए, जब पारुल अपने घर पहुंची तो उसकी माँ ने उसको चाय पिलाई और खैरियत पूछी थोड़ी ही देर में वहन कुसुम आंटी भी आ गयीं जो घर के नज़दीक ही रहती थीं और पारुल को देखकर बोलीं अकेली ही आई हो दामाद जी कहाँ हैं ?

पारुल बोली वो कल आयेंगे, तो कुसुम आंटी ने कहा मैंने देखा था तुम मेनेजर बन गयी हो, अब पारुल को फिर हंसी आ गयी उसने ऊपर देखा और मन मन ही मन बोली एक और !! कुसुम आंटी ने पारुल को झकझोरा और बोलीं कहाँ खो गयी , तभी पारुल ने जवाब दिया कि आंटी देखने के बावजूद भी फ़ोन करके बधाई तो नहीं दी आपने बस देखकर इग्नोर कर दिया ।

पारुल की माँ ने कहा ये क्या कह रही है , कुछ नहीं माँ बस पूछ रही हूँ इनसे कि आज फुर्सत मिल गयी इन्हें मेरे बारे में जानने की ,खोज खबर लेने की उस वक़्त मेरे लिए किसी के पास टाइम नहीं था और तुम भी तो बिजी थीं अपने कामों में, हमेशा मुझे शिक्षा देती हो कि एडजस्ट करो लेकिन कभी ये नहीं कहा कि तेरी परेशानियों में हम तेरे साथ हैं बस एक आवाज़ लगाना।

Hindi Story on Women

आज पारुल वो सब कुछ कह देना चाहती थी जो उसके अन्दर भभक रहा था, कुसुम आंटी निरुत्तर हो कर वहां से चलीं गयीं ये बोलते हुए कि लगता है मेनेजर नहीं “Ego Manager” बन गयी है। पारुल की माँ ने कहा कि कम से कम समाज का तो लिहाज़ करती बोली जा रही है तो पारुल ने कहा हाँ माँ इसी एडजस्टमेंट और लिहाज़ में मैं कहीं खो गयी हूँ। माँ जब एक बेटी ससुराल जाती है तो क्या माँ बाप ये भूल जाते हैं कि उसे भी उन्होंने ही पैदा किया है , जब वो चिंता में होती है तो उसका साथ देने की बजाय ये कहा जाता है कि समाज का सोचो वो क्या कहेगा , तुम गयी हो डोली पर लेकिन लड़की की अर्थी ही ससुराल से निकलती है कैसे बेगानी हो जाती है अपनी ही औलाद लेकिन वहीँ बेटे के दुःख सुख में आप हर वक़्त ढाल की तरह खड़े हो जाते हैं और अपनी बहु तक से लड़ जाते हैं ।

पारुल की माँ को समझ आ गया था कि पारुल बहुत दुखी है , उन्होंने उसे कहा कि बेटी हम तुम्हारे साथ हैं बताओ क्या बात है तो पारुल ने कहा नहीं माँ अब मुझे किसी सहारे की ज़रुरत नहीं है क्यूंकि मैंने बहुत सहारे तलाशे इस जहान में पर अब जाकर समझ आया है कि “ सहारा लेने पर पेड़ भी बेल कहलाने लगता है’ तो अब से मुझे किसी से कोई उम्मीद नही है और हाँ चिंता मत कीजिये यहाँ वापिस आकर समाज में आपका सर नीचा नहीं करुँगी पर अब खुद का सर भी कभी नीचा नहीं होने दूँगी । पारुल वहां से चली गयी , माँ के लाख रोकने पर भी वो नहीं रुकी और फिर एक बार आसमान में मुस्कुराते हुए देखा और मन ही मन बोली “ धन्यवाद भगवान् आज मुझे अपनी लाइफ का मेनेजर बनाने के लिए “ !!

अगर आप जीवन में स्मार्ट बनना चाहते हैं तो सुनें : https://www.youtube.com/watch?v=k9e3_n3PlNI

    Written by Geetanjli Dua