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मतलबी युग- Hindi Kahani | Hindi Story of Selfishness

Hindi Story in Short

Hindi Story of Selfishness
Hindi Story of Selfishness

Hindi Story of Selfishness में पढ़ें कैसे आजकल लोग सर अपने बारे में सोचते हैं।

ये शब्द हमारी संस्कारों वाली पोटली में हमेशा के लिए दफन रहेंगे ।

भई आज का युग न द्वापर युग है न कलयुग आज का युग है मतलबी युग, यहाँ जिसकी जैसी ज़रुरत है वो सामने वाले को वैसे ही आंकता है । जब ज़रुरत हो अपने बिजी schedule में से भी आपको कॉल करने की फुर्सत मिल जाती है फिर चाहे वो रिश्तेदार हो या दोस्त और जब ज़रूरत नहीं है तो टाइम ही नहीं मिला, ऊपर से एक नया ट्रेंड चला है जब कोई कॉल कर भी दे तो उसको सुना सुना के इतना पका डालो के सामने वाला कानों को हाथ लगाकर कहे गलती हो गयी जो आपको कॉल कर लिया आगे से नहीं करेंगे ?

सवाल भी ऐसे होते हैं “ मिल गयी फुर्सत कॉल करने की ?, तुम्हे तो हमारी याद ही नहीं आती, और बताओ उसके घर क्या चल रहा है ?, वगैरह वगैरह” !! ऐसे में उठ रहे सवाल के जवाब में मैं बस यही कहना चाहूंगी कि” हाँ आप तो बेचारे थक गए हमें कॉल करते करते’ और नहीं एक बात बताओ, आपने तो बड़ा मैडल जीत लिया है हमें याद करके हिचकियाँ दिलाने में ?”

पर जी आप चिंता मत करो, ये शब्द हमारी संस्कारों वाली पोटली में हमेशा के लिए दफन रहेंगे, हम नहीं बन सकते बेशरम लोगों की तरह एक तो जी कोई फ़ोन नहीं करता ऊपर से फ़ोन करो तो ऐसे ऐसे सवालों के गुलाब जामुन और पकोड़े बरसाते हैं हमारे स्वागत में कि बन्दे को डायबिटीज ही हो जाए, इसपर तो मुझे कंगना रानौत की क्वीन मूवी का डायलाग बड़ा अच्छा लगता है । जब वो लास्ट सीन में अपनी एक्स सासू माँ को बोलती है कि “अच्छा अगर इतनी ही याद आ रही थी तो फ़ोन तो नहीं किया आपने’’ मतलब मैं खुद को कंगना रानौत सोच कर क्वीन वाली ही फीलिंग लेती हूँ ऐसे सवालों पर बस बोलती नहीं कुछ !!

Hindi Story on Selfishness
Hindi Story of Selfishness

लोगों पर एक कहावत बिलकुल फिट बैठती है कि” अमरुद मीठा होना चाहिए, चाहे बाद में नमक लगाकर खाना पड़े “ तो लोगों की चिंता मत कीजिए क्यूँकि कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना , बिंदास जियो और जिसको मन करे कॉल करो, जिसको नहीं मन करे मत करो ।

दोस्तों कैसी लगी आपको Hindi Story of Selfishness

Written by Geetanjli Dua