Emotional Story of Father and Daughter में पढ़ें पिता और बेटी के बारे में।
वो आज भी रोज़ शाम को मेरे स्टॉप पर जाते हैं और मेरा वेट करते हैं जहाँ से मैं और वो रोज़ शाम को एकसाथ घर जाते थे।
मेरी शादी ओनुपम के साथ बंगाली रीति रिवाज़ से हुई थी और मेरे ससुराल वालों ने मेरा मान रखते हुए मुझे अपनी पसंद की ड्रेस पहनने की इजाज़त दे दी और मैं बहुत खुश थी ये सोचकर कि मेरे ख़ास दिन पर मुझे अपने मन की करने का मौका मिला । मैंने भी उनके हर रीति रिवाज़ को सर आँखों पर लिया और डोली पहुँचते ही सारे रीति रिवाज़ अच्छे से निभाये।
एक दिन मैं अपने मायके गयी हुई थी तो देखा कि पापा दिन ब दिन कमज़ोर होते जा रहे हैं और कुछ सोच में डूबे रहते हैं तो मैंने माँ से पूछा और माँ ने कहा पता नहीं जब से तेरी शादी हुई है कुछ खोये खोये से रहते हैं । शायद बहुत मुश्किल होता होगा अपने दिल के एक टुकड़े को एक ऐसे हाथों में सोंप देना जिनको वो अभी अच्छे से जानते भी नहीं थे ।
मैंने पापा के साथ शाम की चाय पी और जानने की कोशिश की कि आखिर बात क्या है ? लेकिन कुछ समझ नहीं आया , अब मेरे जाने का वक़्त हो गया था और ओनुपम मुझे लेने आ गए थे । मैंने पापा से ऐसे हाथ छुड़वाया जैसे पापा ने मुझसे छुड़वाया था जब उन्होंने मुझे फर्स्ट टाइम स्कूल ड्राप किया था, मैंने पापा को कहा कि मैं जल्दी ही आउंगी मिलने और मैं चली गयी ।
कुछ दिन बाद मेरे चाचा का मेरा हाल चाल लेने के लिए फ़ोन आया तो उन्होंने मुझे बताया कि मेरे पापा अभी तक ये एक्सेप्ट ही नहीं कर पाए हैं कि मैं अब पराई हो गई हूँ और उनके साथ नहीं रहती । वो आज भी रोज़ शाम को मेरे स्टॉप पर जाते हैं और मेरा वेट करते हैं जहाँ से मैं और वो रोज़ शाम को एकसाथ घर जाते थे जब मेरी बस मुझे वहां उतारती थी, ये सुनते ही मुझे समझ आ गया कि वो ऐसे क्यूँ हो गए हैं ।
मैं अपने आँखों से आंसूं पोछती हुई बालकनी में जा कर बारिश को देखने लगी और सोचने लगी कि भले ही बेटों को कह दिया जाए कि बहु के आने के बाद तुम पराये हो गए हो लेकिन कड़वा सच ये है कि बेटी का तो शादी के बाद हक़दार ही बदल जाता है और उस बाप के पास रह जाती हैं बस यादें कुछ खट्टी कुछ मीठी सी !!!!
दोस्तों कैसी लगी आपको Emotional Story of Father and Daughter
सुनें बच्चों को कैसे सिखाएं गुस्से पर काबू करना https://www.youtube.com/watch?v=umuFq1YM1TQ