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Online Papa-hindi Kahani | Emotional Family Story in Hindi

Family Story in hindi

Emotional Family Story in Hindi
Emotional Family Story in Hindi

Emotional Family Story in Hindi में पढ़ें पिता के जीवन में ऑनलाइन शब्द का रोल ।

ऋतू की शादी को लेकर घर में चहल पहल मची हुई थीI हर किसी की लाडली थी ऋतू, घर में हर काम के लिए ऋतू की बड़ी बहन को आवाज़ दी  जाती थी या फिर बाकी के कामों के लिए भाभी थीI ऋतू ने बचपन से लेकर बड़े होने तक कोई काम नहीं  किया थाI

माँ को सिर्फ एक बात की चिंता सताया करती थी कि शादी के बाद ऋतू ससुराल में कैसे एडजस्ट करेगी, पर ऋतू माँ को एक ही बात कहती थी कि माँ अब ज़माना ऑनलाइन हो गया है तो मैं क्यूँ kitchen में समय खराब करूँ सब्जी बनाना सीखने में, जब सब्जी बनानी होगी online recipe check करो और बना लोIउस समय सब ऋतू की बात पर हस देते थे और कहते थे की ये ऑनलाइन बहु और पत्नी बनेगी पर कहीं न कहीं माँ को अन्दर ही अन्दर एक बात सताती थी कि जिस तरह उसके पपा ने कभी kitchen में उसकी मम्मी की मदद नहीं की उसी तरह अगर राहुल भी ऐसा करेगा तो ऋतू अकेले नौकरी और घर कैसे manage करेगीI

ऋतू बार बार अपनी मम्मी को यही समझाती कि वह उसकी फ़िक्र करना छोड़ दे, वह हर चीज़ को अच्छे से manage कर लेगी और उन्हें कभी उसकी वजह से शिकायत सुनने को नहीं मिलेगीI ऋतू और राहुल एक ही कॉलेज में पड़ते थे और धीरे धीरे दोनों की दोस्ती कब प्यार में बदल गयी उन्हें पता ही नहीं चलाIवक़्त बीतता चला गया और अब दोनों कॉलेज से निकल कर अलग अलग जगह नौकरी करने लगेI दोनों ही इस बात के लिए तैयार थे के उनकी शादी में घरवाले प्रॉब्लम जरूर करेंगे, after all ऋतू एक ब्राह्मण family से belong करती थी और राहुल एक punjabi family सेI

जैसे जैसे वक़्त बीता दोनों ने फैसला लिया कि वह दोनों अपने परिवार में शादी की बात रखेंगेI ऋतू का भाई बड़ा था और वह इस रिश्ते से खुश नहीं था लेकिन रितु की माँ ने इस फैसले में उसका साथ दिया क्यूंकि कही न कही उन्हें राहुल पसंद आ गया थाI उधर राहुल के परिवार ने ज्यादा दिक्कत नहीं की और इस रिश्ते को मंजूरी दे दीI

आज दोनों परिवारों की सहमति से शादी का वो दिन आ गया और जैसे जैसे ऋतू की मेहँदी का रंग गाड़ा होता गया वैसे वैसे शादी शुदा जिन्दगी के सपने उसके मन में और रंगीन होते गएI

शादी के बाद ऋतू ने दुल्हन के जोड़े में ससुराल में पहला कदम रखाI सब बहुत खुश थे खासकर ऋतू की सास क्यूंकि उन्हें ऋतू के रूप में बेटी मिल गयी थीI राहुल का एक छोटा भाई था, और दो बेटों की वजह से उन्हें बेटी की कमी बहुत खलती थी, पर आज वह बहुत खुश थी कि ऋतू के रूप में उन्हें बेटी मिल गयीI कुछ दिन बाद ऋतू की सास की तबियत बिगड़ गयी और उस वजह से उनका हनीमून का प्रोग्राम कैंसिल हो गयाIऋतू के अरमानो पर पानी फिर गया, वैसे उसे अपनी सास से कोई गिला नहीं था पर हनीमून एक दूसरे को समझने का वह गोल्डन पीरियड होता है जब पति पत्नी के अलावा वहां कोई दूसरा नहीं होता और जिसके सपने लड़की शादी की बात शुरू होने पर ही मन ही मन बुनने लगती हैI

खैर अब ऋतू की सास की तबियत में सुधार था और अब वक़्त था ऋतू की शादी शुदा जिन्दगी की नई शुरुवात काI अब दोनों को वापिस Bangalore लौटकर अपनी अपनी नौकरी वापिस ज्वाइन करनी थी, दोनों सबको अलविदा कह कर वहां से चल पड़ेIऋतू ने आकर अपना घर संभाला और अगले दिन से ऑफिस जाना शुरू कर दिया, कुछ दिन तक कभी dinner, कभी ब्रेकफास्ट बाहर से करने का सिलसिला चलता रहाI

धीरे धीरे ऋतू को समझ आने लगा कि कहींन कही ये सब उससे manage नहीं हो रहा तो उसने अपने मम्मी पापा को Bangalore आने का निमंत्रण भेजा, लाडली होने की वजह से ऋतू के माता पिता उस निमंत्रण को अस्वीकार नहीं कर पाए और तुरंत Bangalore की तरफ रवाना हो गएI वहां पहुचते ही उन्हें खुश खबरी मिली कि ऋतू pregnant हैI उन्हें अब एक महिना ऋतू की मुश्किल घडी में वहीँ रुकना पड़ेगाI ऋतू के pampered days फिर से स्टार्ट हो गएI सुबह पका पकाया नाश्ता मिलना, लंच पैक मिलना, dinner रेडी मिलना वगैरह वगैरहI ऋतू को ये दिन किसी सपने से कम नहीं लगते थेI

आखिर वो दिन आ ही गया जब ऋतू के मम्मी पापा को वापिस जाना थाI ऋतू बहुत उदास थी और मजबूर भी क्यूंकि बेटी होने के नाते वो अपने माता पिता को और ज्यादा दिन रुकने पर मजबूर नहीं कर सकती थीI धीरे धीरे लाइफ की गाडी ने फिर ट्रैक change किया और रफ़्तार पकड़ीI अब ऋतू सुबह जल्दी उठती और सारा काम निपटा कर ऑफिस जातीI कहते हैं समय के पंख लगे होते हैं, समय बीता और ऋतू ने एक बेटे को जन्म दिया और साथ ही साथ नौकरी को अलविदा कह दियाI सारा दिन ऋतू बच्चे के आगे पीछे दौड़ती और उसी तक उसकी दुनिया सीमित हो गयीI

राहुल ऑफिस के काम में व्यस्त रहने लगा और रात को बहुत देर से लौटने लगाI सारा दिन बच्चे के साथ समय बिताने और घर की जिम्मेदारियां अकेले निभाने के बाद ऋतू राहुल से कुछ वक़्त मांगती थी जो राहुल के पास कभी नहीं होता थाI अब ऋतू ये महसूस करने लगी थी कि राहुल जितनी भी ऑनलाइन transactions होती वह खुद करता और बाकी का सारा काम ऋतू की जिम्मेदारी होतीI

Online वाटर बिल, online इलेक्ट्रिसिटी bill, Online रेंट etc  सब राहुल करता था क्यूंकिIt was just a one click away, पर जितने भी बाकी के काम होते थे वह निपटाने की जिम्मेदारी ऋतू की होती थी चाहे वो राशन लाने की हो , दूध लाने की या सब्जी लाने की, बच्चे को गोद में लेकर दुसरे माले के मकान तक यह सारा काम ऋतू खुद करती थी बिना किसी मदद केI धीरे धीरे उनका बेटा अथर्व बड़ा होने लगा और स्कूल जाने लगाI ऋतू ने भी वापिस नौकरी join कर लीI अब ऋतू के कानों में वो ऑनलाइन शब्द गूंजने लगा जो वह हर वक़्त अपनी माँ को कहा करती थी, की बस online recipe check करो और बना लो खानाI

दोस्तों वास्तव में ऑनलाइन शब्द ने कहीं न कहीं हमारे रास्ते आसान किये हैं तो हमारे रिश्तों में दूरियां भी पैदा की हैंI अगर राहुल ऑनलाइन transactions में विश्वास न रखकर मार्किट जाकर काम निपटाने में believe करता तो कहीं न कही ऋतू की जिम्मेदारियों का बोझ भी divide हो पाता और उन्हें एक दुसरे के साथ बिताने के लिए कुछ extra time भी मिल पाता जो बच्चे और नौकरी के साथ नहीं हो पाता  और शायद वो अपने बच्चे द्वारा इतने बड़े खिताब से न नवाज़ा जाता “ऑनलाइन पापा “I

Emotional Family Story in Hindi

आज हर रिश्ता ऑनलाइन निभने लगा है जैसे दादा दादी पोते पोतियों को ऑनलाइन देखकर ही खुश हो जाते हैं, उन्हें कभी नुक्लेअर family के स्ट्रगल जो उनके बेटा बहु झेल रहे होते हैं,नहीं नज़र आतेI मामा मामी, नाना नानी ऐसा खट्टा मीठा रिश्ता होता था जिसका स्वाद गर्मियों की छुट्टियों में उनके घर जाकर लिया जाता था पर आज कहीं न कहीं  दूरियां इतनी ज्यादा आ गयी हैं कि रिश्तों की गर्माहट पर ऑनलाइन की ठंडक सवार हो गयी हैI खैर अंत में यही कहना चाहूंगी की रिश्तों में से ऑनलाइन शब्द को धुंधला कीजिये और कुछ वक़्त अपनों के साथ बिताइए I

दोस्तों कैसी लगी आपको Emotional Family Story in Hindi

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Written by Geetanjli Dua