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आज माँ का श्राद्ध है|Emotional Family Story in Hindi

Emotional Moral Story in Hindi

Emotional Moral Story in Hindi
Emotional Moral Story in Hindi

एक दोस्त हलवाई की दुकान पर मिल गया,  दूसरे दोस्त से बोला “आज माँ का श्राद्ध है” माँ को लड्डू बहुत पसंद है इसलिए लड्डू लेने आया हूं।

पहला दोस्त आश्चर्य में पड़ गया।  अभी 5 मिनट पहले तो वह उसकी मां से सब्जी मंडी में मिला था,  वह कुछ और कहता उससे पहले ही खुद उसकी मां हाथ में झोला लिए वहां आ पहुंची। पहले दोस्त ने दूसरे दोस्त की पीठ पर मारते हुए कहा-  अरे भाई यह क्या मजाक है?  मां जी  तो यह रही तेरे पास!  दोस्त अपनी मां के दोनों कंधों पर हाथ रखकर हंसकर बोला,  भाई  बात ऐसी है कि मृत्यु के बाद गाय-  कौवे  की थाली में लड्डू रखने से अच्छा है कि मां की थाली में लड्डू परोस कर उसे जीते जी तृप्त कर दो।

मैं मानता हूं कि जीते जी मां पिता को हर हाल में खुश रखना ही सच्चा श्राद्ध है। उसने कहा-  मां को मिठाई,  आम  पसंद है,  इसलिए मैं वह कब उन्हें खिलाता हूं।  श्रद्धालु मंदिर जाकर अगरबत्ती जलाते हैं,  मैं मंदिर नहीं जाता,  पर मां के कमरे में सोने से पहले कछुआ छाप अगरबत्ती लगा देता हूं।

सुबह जब मां गीता पढ़ने बैठती है तो मां का चश्मा साफ कर देता हूं,  मुझे लगता है कि ईश्वर के फोटो व मूर्ति साफ करने से ज्यादा उन्हें मां का चश्मा साफ करने से मिलता है। हम बुजुर्गों के मरने के बाद उनका श्राद्ध करते हैं पंडितों को खीर पुरी खिलाते हैं,  रत्नों की वजह से हम यह सब कर लेते हैं पर याद रखिए की गाय- कौवे को खिलाया ऊपर पहुंचता है या नहीं यह कैसे पता?

अमेरिका या जापान में भी अभी तक स्वर्ग के लिए कोई टिफिन सेवा शुरू नहीं हुई है,  इसलिए माता-पिता को जीते जी ही सारे सुख देना  वास्त्विक श्राद्ध के समान हैं।

Written by Geetanjli Dua