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आखिरी ख़ुशी | Emotional Story in Hindi | Heart Touching Hindi Story

Emotional Family Story in Hindi

Emotional Family Story in Hindi
Emotional Family Story in Hindi

जीवन में कई बार हम सोचते हैं कि अभी तो मेरे जीवन में खुशियाँ आने लगी हैं अभी तो आगे बहुत सारी खुशियाँ मेरी झोली में आ कर गिरेंगी और हम भूल जाते हैं कि आगे की न सोच कर अभी जो पल हमारे साथ हैं उन्हें समेट लिया जाए।

वर्मा जी का बहुत ही सुखी परिवार था, दिल्ली जैसे शहर में घर, अच्छा बिजनस, सफल और खुश बच्चे, सब कुछ बहुत बढ़िया था। जीवन की गाड़ी बहुत बढ़िया चल रही थी, वर्मा जी की एक बेटी थी बबिता और दो बेटे थे सुनील और अनिल। बेटी बचपन से ही लाडली थी, पर जितना लाड प्यार मिलता था उतनी ही वो संस्कारी थी, उसने कभी भी लाड प्यार का नाजायज़ फायदा नहीं उठाया। वर्मा जी खुद 3 भाई और दो बहनें थे। बबिता छोटी बुआ की भी लाडली थी, दीदी बुलाती थी उन्हें क्यूंकि बचपन में उन्होंने उसे स्कूल में भी पड़ाया था। राधा जी(बबिता की बुआ)शादी से पहले जिस स्कूल में पढाती थी वहां बबिता, सुनील , अनिल, तीनो पड़ते थे और इसलिए वो उन्हें दीदी कहते थे।

बुआ सुनील को बहुत डांटती थी पड़ने के लिए, पर सुनील कभी नहीं पड़ता था , अनिल और बबिता पढाई में तेज़ थे। जब राधा जी की शादी हुई तो सुनील ने पढाई छोड़ दी, बबिता और अनिल उसी तरह पड़ते रहे। थोड़े समय बाद, सुनील ने पापा का बिजनस संभाल लिया और पढाई हमेशा के लिए छोड़ दीI सुनील की शादी हो गयी और उसकी एक प्यारी सी बेटी भी हुई।

बबिता पढाई में बहुत अच्छे से आगे बड रही थी साथ ही साथ उसके मन में एक सपना पनप रहा था फैशन डिज़ाइनर बनने का जिसको वो पूरा करना चाहती थी। बबिता ने पास के एक फैशन इंस्टिट्यूट में एडमिशन ले लिया और फैशन डिजाइनिंग सीखने लगी। उधर सुनील ने पापा का बिज़नस बड़े अच्छे से संभाल लिया था और अनिल भी सी.ऐ की तैयारी कर रहा था। बबिता जो सूट design करती थी उसकी सब बहुत तारीफ़ करते थे और वो हर पीस को दिल से तैयार करती थी क्यूंकि ये उसका सपना था। जब बबिता का कोर्स पूरा हुआ तो उसने एक जगह जॉब करने का प्रस्ताव घरवालों के सामने रखा, सब बहुत खुश थे और जानते थे कि बबिता को इसमें बहुत सफलता मिलेगी क्यूंकि उसका हाथ बहुत साफ़ है लेकिन वर्मा जी जॉब के सख्त खिलाफ थे।

वर्मा जी का मानना था कि घर की बहु बेटियों को जॉब करने की कोई ज़रुरत नहीं होती जब तक घर के मर्द कमा रहे हैं, इसलिए बबिता को उनकी तरफ से सपोर्ट नहीं मिला। बबिता ने इस चीज़ की बगावत नहीं की क्यूंकि वो बहुत ही संस्कारी और सुलझी हुई लड़की थी और उसने इस सपने को अपने मन में ही दफ़न कर दिया।

बबिता अपने सूट खुद design करती और जब भी वो सूट पहनती सब उसकी खूब तारीफ़ करते थे। एक दिन वर्मा जी के यहाँ बबिता के लिए रिश्ता आया, लड़का उनकी ही बिरादरी का था , बिजनेसमैन था और परिवार भी देखा भाला था। बबिता की रजामंदी से रिश्ता तय हो गया और दोनों की सगाई कर दी गयी। सब बहुत खुश थे, खासकर बबिता क्यूंकि उसे अपने सपनों का राजकुमार मिल गया था।

दिन-ब – दिन बबिता के चेहरे पर निखार आता जा रहा था, जब सब उसके चेहरे की चमक का राज़ पूछते तो वो शर्मा जाती थी। एक दिन 24 जनवरी को राधा जी को बबिता ने कॉल किया और कहा कि बुआ २६ जनवरी की बच्चों की छुट्टी है तो आप उन्हें लेकर यहाँ आ जाओ, बहुत दिन हो गए मिले हुए।राधा जी ने सामान बाँधा और अगले ही दिन यानी 25 जनवरी को सुबह की ट्रेन से बच्चों को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गयीं।

mrs. वर्मा दो तीन दिन के लिए अपने मायके गयी हुई थी तो बबिता ने रात में ही बच्चों और बुआ के लिए पूरी तैयारी करके रख ली थी। अगले दिन जब बुआ बच्चों को लेकर रिक्शे से उतरी तो घर के बाहर भीड़ देखकर घबरा गयीं, इतने में वर्मा जी ने रिक्शे वाले को पैसे दिए और बोला तू बच्चों को लेकर ऊपर जा, पर उन्होंने लाख पूछने पर भी कुछ नहीं बताया। ऊपर जाकर देखा तो बबिता की भाभी रो रही थी कि बबिता सुबह से नहीं उठ रही, तभी उसे गाड़ी में डालकर डॉक्टर को दिखाने ले गए है।

राधा जी के पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी, उधर से mrs. वर्मा को भी जल्दी लौट आने को कहा गया। कुछ ही देर में सुनील और अनिल बबिता को लेकर लौट आये और बताया कि बबिता उहे छोड़ कर हमेशा के लिए चली गयी है। किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि क्या अनहोनी हो गयी है, पर यही सच था, सारा परिवार सदमे था जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती थी पर सबसे ज्यादा सदमे में वर्मा जी थे जिन्होंने बेटी की विदाई का सपना देखा था डोली में और आज बेटी को अर्थी पर विदा कर रहे थे।

ये भी सुनें https://www.youtube.com/watch?v=lNROaieU5as

Written by Geetanjli Dua