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कड़वी बहु- हिंदी की कहानी | Emotional Family Story in Hindi

Hindi Ki Emotional Family Kahani

Hindi Ki Emotional Family Kahani
Hindi Ki Emotional Family Kahani

शारदा जी बहुत ही इज्ज़तदार और सरल स्वभाव की औरत थींI गाँव में अपने मकान में वह अकेले ही रहती थींI उनके बेटे बहु शहर में जाकर बस चुके थे लेकिन उनका उस गाँव को छोड़ने का मन नहीं होता था इसलिए वह वहां अकेली रहती थींI पति की मृत्यु के बाद सबने उन्हें बहुत समझाया कि वह बेटे बहु के साथ शहर चलकर रहें लेकिन उन्होंने किसी की एक न मानीI गाँव में इतने साल रहने के बाद एक अजीब सा रिश्ता जो बन गया था उस गाँव से, वह रोज़ मंदिर जाती थींI

रोजाना की तरह एक दिन वह मंदिर जाकर आ रही थीं तो संतुलन बिगड़ने की वजह से वह गिर पड़ीI गाँव वालों ने उन्हें उठाया पानी पिलाया और समझाया कि अब इस उम्र में अकेले रहना ठीक नहीं हैI शारदा जी के तीन बेटे थे और तीनो ही शहर में बसे हुए थेI उस रात शारदा जी पूरी रात करवटें बदलती रहीं और उन्हें भी अब गाँव वालों की बात समझ आ गयी थीI उन्होंने परिस्थिति को स्वीकारते हुए यह फैसला लिया कि वह शहर चली जायेंगी और अपने बेटे बहु के साथ रहेंगीI उन्होंने बच्चों को फ़ोन करने का मन बना ही लियाI

शारदा जी की बड़ी बहु बहुत आज्ञाकारी थी, मंझली बहु मस्त मौला और तीसरी बहु स्वभाव से बहुत कडवी थीI शारदा जी धार्मिक प्रवृति की थी और कभी भी कोई तीज त्यौहार आता तो पहले से ही तीनो बहुओं को बता देती थीI बड़ी बहु और मझली बहु तो बहुत ख़ुशी ख़ुशी व्रत करती थी लेकिन छोटी बहु कभी भी उनकी बात नहीं मानती थी और कहती कि “आप मुझे force करके व्रत रखवाकर सारे त्यौहार का मज़ा किरकिरा कर देती हो“

शारदा जी को वह एक आँख नहीं भाती थी और वह उसे हमेशा व्रत जप करने के लिए कहती रहती थीं कि शायद इसके कुछ पाप धुल जाएँI दोनों की किसी न किसी बात पर रोज़ बहस हो ही जाती थी तो एक दिन शारदा जी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने कहा “तू क्या सोचती है कि बुडापे में मैं तेरा आसरा लूंगी, मर जाउंगी पर तेरे पास कभी नहीं आउंगी“

शारदा जी ने बड़ी आस के साथ सबसे पहला फ़ोन अपनी बड़ी बहु को लगाया और बोली, मैं गिर गयी हूँ, और आजकल ऐसा कई बार हो गया है तो मैं सोच रही थी कि तुम्हारे पास आ जाऊंI बड़ी बहु ने सुनते ही कहा- अभी नवरात्रे चल रहे हैं मंजी और मैं नवरात्रों में नंगे पांव रहती हूँ, और किसी का छुआ भी नहीं खाती तो अभी नहींI

फिर शारदा जी ने मंझली बहु को फ़ोन किया, लेकिन उसने भी कोई बहाना बनाकर टाल दियाI जब बड़ी और मंझली बहु ने ऐसा जवाब दे दिया तो फिर छोटी बहु से क्या उम्मीद लगनी वो तो पहले से ही स्वभाव की कड़वी है, ऐसा सोच शारदा जी अपने आने वाले कठिन समय की कल्पना कर ही रही थी कि अचानक से फ़ोन की घंटी बजीI फ़ोन उठाते ही शारदा जी समझ गयी कि कडवी हैI

कड़वी ने फ़ोन उठाते ही बोलना शुरू कर दिया “गिर गए ना? आपने तो बताया नहीं लेकिन मैंने भी जासूस छोड़ रखे हैंI आज आपके पोते को भेज रही हूँ लेने के लिए, आ जाना ज्यादा नखरे मत दिखानाI शारदा जी कडवी की बातें सुन कर हैरान  थीं और बोली “ क्या तुझे मेरी कही बातें याद नहीं हैं? तू भूल गयी कि मैंने तुझे कहा था कि मैं मर जाउंगी पर तेरे पास नहीं आउंगीI हाँ हाँ सब याद है, भूलूंगी नहीं कभी आपके कहे हुए वो शब्द, लेकिन आप मुझे नहीं जानते मैंने तभी यह व्रत लिया था कि इस बुडिया को मरने नहीं देना और आज से मेरा व्रत शुरू हो गया हैI

Written by Geetanjli Dua