Inspirational Hindi Story में पढ़ें कैसे आप अपने डर पर जीत पा सकते हैं।
मन के हारे हार है , मन के जीते जीत
पूर्वी ने जब ENTRANCE exam दिया तब उसे ये अंदाजा नहीं था कि उसका सिलेक्शन होगा या नहीं, मेडिकल background वाली family होने की वजह से PMT में appear होना तो लाज़मी था । रिजल्ट आने तक इंतज़ार तो किया लेकिन अन्दर से एक जो दर ने कब्ज़ा कर रखा था वो कह रहा था कि सफलता मिलनी मुश्किल है । आखिर वाही हुआ जिसका पूर्वी को डर था, रिजल्ट आया लेकिन उसका नाम उसमे नहीं था, अब पूर्वी को विश्वास हो गया कि वो जीवन में कुछ नहीं कर सकती, लेकिन पापा ने जान पहचान से उसका एक मेडिकल कोर्स में दाखला करवा दिया ।
पूर्वी को न जाने क्यूँ अन्दर अन्दर एक डर सताता था कि वह इतनी मेहनत के बावजूद कुछ कर नहीं पाएगी, पर जब उसकी पढ़ाई पूरी हुई तो उसकी एक इंस्टिट्यूट में नौकरी लगी जहाँ वो लेक्चरार थी और फिर उसे दूसरे शहर में लेक्चरार की जॉब मिली तो धीरे धीरे उसे खुद पर विश्वास होने लगा कि वो भी कुछ कर सकती है पर जब उसकी शादी हुई तो हर लड़की की तरह उसे इस सब से ब्रेक लेना पड़ा।
अब पूर्वी वापिस से वही पुरानी पूर्वी बन गयी थी और पति के लाख समझाने के बावजूद वो अपने करियर पर फोकस नहीं कर पा रही थी । एक दिन बातों बातों में उसकी सहेली ने चाय पीते हुए उसे कहा कि तू कहीं बड़ी कंपनी में नौकरी क्यूँ नहीं try करती तो पूर्वी ने कहा कि मैंने कभी इस तरीके से नौकरी नहीं की और मेरा कोई ऐसा experience भी नहीं है तो मुझे कौन रखेगा । उसकी सहेली उस दिन तो चुपचाप घर चली गयी पर उसने पूर्वी के पति की मदद से उसका CV बनाया और अपलोड कर दिया तो पूर्वी के पास कॉल्स आने लगी लेकिन कॉन्फिडेंस की कमी की वजह से वो किसी को हाँ नहीं कर पायी ।
पूर्वी की सहेली ने उसके लिए reference से एक जॉब फाइनल की और उसको इंटरव्यू के लिए जाने के लिए बोला और बच्चे के लिए आया का इंतजाम उसने पहले से ही कर दिया था । पूर्वी ने इंटरव्यू क्लियर कर लिया और उसकी जॉब लग गयी जिसके सिलसिले में उसे 10 दिन के लिए अकेले बंगलौर जाना पड़ा और वहां पूर्वी ने खूब दिल लगा कर ट्रेनिंग पूरी की और जब वो वापिस आई तो उसका खोया हुआ कॉन्फिडेंस उसे फिर से मिल चूका था और अब पूर्वी ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा ।
पूर्वी का जब दूसरा बेटा हुआ तो उसने नौकरी से कोई ब्रेक नहीं लिया और low कॉन्फिडेंस का डट कर मुकाबला किया, आज पूर्वी को चाय पीते पीते अपनी उसी सहेली की याद आ गयी जिसने उसे सिखाया था कि डर के आगे ही जीत है और “ मन के हारे हार है , मन के जीते जीत” ।
दोस्तों कैसी लगी आपको Inspirational Hindi Story
सुनें खुश कैसे रहें https://www.youtube.com/watch?v=W3mWyxJWizQ