Heart touching Story of Women में पढ़ें एक औरत के बलिदान की कहानी ।
अब चाहे सर फूटे या माथा मैंने तेरी बाह पकड़ ली, इस गाने पर श्वेता की सहेलियां और उसके परिवार वाले उसको खूब चिढाया करते थे।
कभी तो नज़र मिलाओ, कभी तो करीब आओ”, “चंदा की डोली में…”, अदनान सामी और सोनू निगम के ये गाने सुनते सुनते न जाने कब श्वेता की आँख लग गयी उसे पता ही नहीं चला और पता चलता भी कैसे आखिर कई सालों बाद आज उसको ये मौका मिला है अपनी प्यारी सहेली नींद के साथ अकेले में गुफ्तगू करने का I बहुत अजीब लगता होगा न सुनकर नींद से गुफ्तगू , पर आप नहीं समझेंगे जनाब ।
जब दो सहेलियां आपस में मिलकर बैठती हैं तो गप शप में समय कैसे निकल जाता है पता ही नहीं चलता, ऐसा ही कुछ रिश्ता था श्वेता का और नींद का था जो कहीं भागती दौड़ती ज़िन्दगी में खो सा गया था । जान से भी ज्यादा प्यारी थी श्वेता को अपनी नींद पर न जाने इनकी दोस्ती को किसकी नज़र लग गयी थी जो अब इनकी मुलाकात ही नहीं हो पाती थी ।
अब चाहे सर फूटे या माथा मैंने तेरी बाह पकड़ ली, इस गाने पर श्वेता की सहेलियां और उसके परिवार वाले उसको खूब चिढाया करते थे कि अब चाहे माँ रूठे या बाबा श्वेता ने नींद की बाह पकड़ ली !! श्वेता बहुत ही मस्त मौला लड़की थी बस उसे जीवन में एक ही चीज़ से प्यार था और वो थी उसकी प्यारी निंदिया रानी, पर उसे क्या पता था कि ज़िन्दगी के पन्नों में उसके लिए कुछ और ही है जिसमे उसकी प्यारी सहेली उससे कोसों दूर हो जायेगी।
जब माँ श्वेता को ये समझाती थी कि शादी के बाद ये सब नहीं चलेगा, तुम्हे अपनी नींद का त्याग करना ही पड़ेगा तो श्वेता कहती, माँ मैं तो लड़के से पहले ही पूछ लूंगी अगर वो मुझे सोने देगा तो ही शादी करुँगी नहीं तो नहीं और उसकी ये मासूमियत भरी बातें सुनकर सब हस पड़ते थे ।
श्वेता की शादी एक बहुत अच्छे लड़के से हो गयी, सौरभ उसका बहुत ख़याल रखता था और शुरू में ससुराल में भी उसकी नींद पर कोई पाबंदी नहीं थी तो वो अपनी माँ को फ़ोन करके बोलती थी कि देखा माँ मेरी सहेली यहाँ भी मेरे साथ है, “ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे ‘ !! एक साल तक सब ठीक था फिर सौरभ का ट्रान्सफर दिल्ली हो गया और श्वेता को भी उसके साथ जाना पड़ा ।
श्वेता बहुत इंटेलीजेंट थी तो सौरभ ने उसको जॉब करने की सलाह दी और श्वेता को एक अच्छी कम्पनी में जॉब मिल गयी पर यहाँ पर नाईट शिफ्ट भी होती थी जिस वजह से श्वेता को अपनी प्यारी सहेली से मिलने का मौका ही नहीं मिल पाता था”नींद” । दिन में चाहे कितना भी सो लो पर रात की नींद तो रात की ही होती है ।
अब श्वेता को धीरे धीरे माँ की बात समझ आ रही थी, कुछ टाइम बाद श्वेता ने conceive कर लिया तो फिर तो ना दिन में नींद न रात में बस उसका और उसकी सहेली का रिश्ता ख़त्म सा हो गया जब श्वेता ने twins को जन्म दिया। उसकी प्यारी सहेली कब उससे दूर हो गयी थी उसे पता ही नहीं चला पर वो उसे बहुत मिस करती थी और उसकी सहेली नींद ने उसके पति से दोस्ती कर ली थी, श्वेता जब भी खुद को बच्चों में घिरा हुआ और सौरभ को निश्चिन्त सोता हुआ देखती थी उसको नींद की बहुत याद आती थी ।
धीरे धीरे बच्चे बड़े होने लगे और स्कूल जाने लगे और आज वो दिन आ ही गया जब दो बिछड़ी हुई सहेलियां आपस में बहुत समय बाद एक दुसरे से अकेले में मिली वो भी जब बच्चे और पति कोई घर नहीं था और श्वेता अकेली सोफे पर सर टिकाकर गाने सुन रही थी । दो बिछड़ी सहेलियों को मिलाने का credit जाता है अदनान जी और सोनू जी को जिनकी बदौलत ये संभव हो पाया ।
दोस्तों कैसी लगी आपको पोस्ट Heart touching Story of Women
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