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तारे ज़मीन पर – Hindi Kahani | Emotional Hindi Story

Emotional Family Hindi Story

Emotional Hindi Story
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Emotional Hindi Story

पढ़ाई में बिलकुल ध्यान नहीं है तुम्हारा बस सारा दिन ख्यालों में जीते रहते हो ।

पापा पापा हम नया घर लेंगे ? बताओ न पापा ? जब मनोज जी ने अपने १० साल के बेटे के मुह से ये सुना तो तुरंत रसोई में काम कर रही अपनी पत्नी शिखा को आवाज़ दी, शिखा आटे वाले हाथ साफ़ करती हुई बाहर आई तो उन्होंने लगभग डांटते हुए उसे कहा- तुमने कहा है इसे ये सब ? तुम जानती हो जब तक मैं पूरी कैलकुलेशन नहीं कर लेता तब तक मैं कुछ डिसिशन नहीं ले सकता और ये मुझसे ऐसे सवाल पूछ रहा है ।

शिखा को कुछ समझ नहीं आ रहा था और वो मनोज जी की तरफ और अपने बेटे साहिल की तरफ देखकर माजरा समझने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था तो उसने कहा आखिर कोई मुझे बतायेगा बात आखिर क्या है ? साहिल को लगा कि कहीं उसकी वजह से मामला ज्यादा न बिगड़ जाए तो उसने बात संभालते हुए बोला मैं बतात हूँ मम्मा !!

मैंने पापा से पूछा है कि क्या हम नए घर में शिफ्ट हो रहे हैं तो पापा को पता नहीं क्यूँ गुस्सा आ गया, सॉरी पापा अगर मैंने गलत question किया है तो but कल आप मम्मी से बात कर रहे थे तो….तो क्या साहिल ? मनोज जी ने गुस्से से साहिल की तरफ देखा और पूछा क्या तुम हमारी बातें सुनते रहते हो ? पढ़ाई में बिलकुल ध्यान नहीं है तुम्हारा बस सारा दिन ख्यालों में जीते रहते हो।

साहिल मायूस सा होकर अपने कमरे में चला गया तब शिखा ने मनोज जी को एक गिलास पानी दिया और समझाया कि अगर हम नया घर लेने की बात कर रहे हैं तो वो उसका भी होगा और उसे पूरा राईट है इस बारे में हमसे बात करने का, कल हेमा आई थी और वो चाइल्ड काउंसलिंग करती है तो उसने मुझे ऐसे कई केस बताये जिनसे मुझे being a parent एक बार अपनी parenting के बारे में दुबारा सोचने का मौका मिला। क्या कहना चाहती हो तुम क्या हम अच्छे माँ बाप नहीं हैं ?

Emotional family Story in Hindi
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मनोज जी की बात सुनकर शिखा ने उन्हें समझाया कि शायद हमारे ज़माने में हमारे parents हमें इन बातों में involve नहीं करते थे लेकिन आजकल के बच्चे बहुत समझदार हैं और शायद वो एक अच्छे सलाहकार भी साबित हो सकते हैं तो 10 साल की उम्र के बाद कुछ फैसलों में हमें बच्चों को शामिल करना चाहिए जैसे शौपिंग, स्कूल choosing फॉर their siblings जिससे उनके अन्दर लीडरशिप और कॉन्फिडेंस बूस्ट होता है।

मनोज जी को ये बात समझ आ रही थी और उन्होंने साहिल के कमरे में जाकर उसको sorry बोला और कहा बेटा मुझे लगा कि शायद तुम अभी इन चीज़ों के लिए छोटे हो लेकिन पता ही नहीं चला तुम कब units से tens वाली age में आ गए हो। साहिल ने कहा पापा अगर अभी हमारा बजट नहीं है तो हमें नए घर के लिए एक दो साल रुक जाना चाहिए और कुछ सेविंग्स करनी चाहिए ताकि हम यश का एडमिशन और नए घर की अप्रत्य एक साथ कर सकें ।

मनोज जी को अपने बेटे में एक अच्छा सलाहकार नज़र आ रहा था और अब उन्हें उसके maths के marks से कोई परेशानी नहीं थी क्यूँकि उसको जीवन का गणित अच्छे से समझ आ गया था । बेटा तुम बड़े होकर क्या करना चाहते हो ? मनोज जी ने जैसे ही पूछा साहिल ने जवाब दिया कि पापा मैं बड़े होकर बैंक में जॉब करना चाहता हूँ ताकि मैं आपकी हेल्प कर सकूं और जिस तरह आप मेरे लिए नए घर के बारे में सोच रहे हैं वैसे ही मैं यश को एक अच्छा सा घर गिफ्ट कर सकूं। आज मनोज जी की आँख में आंसूं थे जो ख़ुशी के थे, तभी शिखा ने कहा- तो फिर हेमा को कल चाय पर बुला ही लेती हूँ क्यूँकि पार्टी तो बनती है !!!

दोस्तों कैसी लगी आपको Emotional Hindi Story

सुनें पैसे की क्या अहमियत है https://www.youtube.com/watch?v=W7DcMQxRqEM

Written by Geetanjli Dua