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अब बस और नहीं | Emotional Story of Husband and Wife

Emotional Family Story in Hindi

Emotional Story of Husband and Wife
Emotional Story of Husband and Wife

Emotional Story of Husband and Wife दर्शाती है कि कैसे एक पत्नी अपने पति को अपनी अहमियत समझाती है।

जिस गाँव से वो ताल्लुक रखती थी वहां इतना खुला माहौल नहीं था, औरतों को कुछ भी करने की आजादी नहीं थी ।अनु ने जब ऐसा कहा तो सब भोचक्के हो कर उसकी तरफ देख रहे थे और वो इसको लिए बिलकुल बेपरवाह खड़ी थी । अनु और उसका परिवार दिल्ली जैसी जगह पर रहता था जहाँ हर कोई अपने रोज़मर्रा के काम में इस तरह व्यस्त था कि किसी को किसी से कोई फर्क नहीं पड़ता था ।

अनु जब गाँव से शहर आकर बसी थी तो उसे वहां का कल्चर बहुत अजीब लगता था जिसमें ढलने के लिए उसे बहुत टाइम लग गया , उसने औरतों को कभी इस तरीके से खुल्लम खुल्ला अपने विचारों को व्यक्त करते हुए नहीं देखा था पर उसे ये सब अच्छा लगा ।

जिस गाँव से वो ताल्लुक रखती थी वहां इतना खुला माहौल नहीं था, औरतों को कुछ भी करने की आजादी नहीं थी वो जॉब करना चाहती थी लेकिन उसे नहीं करने दी गयी। सुमित (अनु के पति ) का जब ट्रान्सफर दिल्ली हुआ तो अनु भी उनके साथ आ गयी और पास के स्कूल में ही जॉब करने के लिए सुमित को भी मना लिया । सुमित अनु को बहुत प्यार करता था लेकिन गाँव का होने की वजह से कहीं ना कहीं उसकी सोच खुली हुई नहीं थी । अनु खुश थी क्यूँकि वो जब जॉब के लिए जाती तो कई अलग अलग लोगों से मिलती, बात करती और खुश रहती थी ।

Emotional Family Story
Emotional Story of Husband and Wife

अनु का एक बेटा था और वो दूसरे स्कूल में जाता था, अनु दोपहर को उसके अपने साथ लेती हुई घर आती थी और सारा काम करती फिर शाम को सुमित भी ऑफिस से आ जाता फिर तीनों मिलकर डिनर के बाद पास वाले पार्क में जाया करते थे, उन दोनों की सैर हो जाती और प्रथम( उनका बेटा ) वहां खेल लिया करता था । अनु सुमित को सारी बात बताया करती और सुमित उसे अपने ऑफिस के बारे में सारी बातें शेयर करती थी, दोनों पति अप्तनी कम और दोस्त ज्यादा हो गए थे ।

एक दिन गाँव से अनु की सास आयीं जो उनके पास कुछ टाइम रहने के लिए आई थीं, जब उन्होंने वहां का कल्चर देखा तो चीज़ें उनके सहन के बाहर हो गयीं । दो तीन दिन तो उन्होंने खुद पर बहुत नियंत्रण रखा लेकिन तीसरे दिन ही उनसे खुद पर काबू ना रखा गया और सुमित से बात करने की सोची, उन्होंने सुमित से कहा कि तू अच्छी खासी नौकरी कर रहा है तुझे क्या ज़रुरत है अपनी पत्नी से काम करवाने की और वैसे भी मैं घर पर पड़ी बोर हो जाती हूँ तो तू उसकी नौकरी छुड़वा दे।

सुमित को कुछ समझ नहीं आया तो वो “सोचता हूँ “ बोलकर ऑफिस चला गया । अनु ने ये सारी बातें सुन ली थी तो उस दिन से उसने माजी की हरकतों पर नज़र रखनी शुरू कर दी थी, एक दिन उसको स्कूल में देर हो रही थी तो उसने सुनीता (उसकी सहेली ) को बोला कि प्रथम को स्कूल से लेकर घर छोड़ देना वहां माजी होंगी । सुनीता ने जब प्रथम को घर छोड़ा तो उसके एक घंटे बाद जब अनु वापिस आई तो उसने सुना माजी प्रथम को कह रहीं थीं कि तू अपनी मम्मी को बोल वो अपनी जॉब छोड़ दे तो तू जब आया करेगा तो तुझे मम्मी घर पर ही मिलेगी और खाना भी एकदम गरम मिलेगा, माजी की बात सुनकर अनु को बहुत गुस्सा आया लेकिन उसने बच्चे के सामने बोलना ठीक नहीं समझा।

अगले दिन रात को जब खाना खाकर सुमित और अनु सैर के लिए जाने लगे तो मांजी ने पेट में दर्द को लेकर सारा घर सर पर उठा लिया और उनका जाना cancel हो गया , दो तीन दिन तक रोज़ ऐसा होता रहा तो उनकी सैर पर जाने की आदत छूट गयी । अब सुमित भी अनु से कटा कटा रहने लगा क्यूँकि माजी की सेवा करके जब वो कमरे में आती तो सुमित सो चूका होता और उनकी आपस में कोई बात नहीं हो पाती थी न ही आपस में समय बिता पा रहे थे I प्रथम के बर्थडे वाले दिन केक काटने के बाद सुमित ने कहा कि चलो आज बाहर खाना खाने चलते हैं तो माजी ने फिर से पेट दर्द का बहाना किया और बोली तू लल्ला को घुमा ला इसका जन्मदिन है बहु मेरे साथ रुक जायेगी हम खिचड़ी खा लेंगे ।

अनु मुड़ी और बोली सुमित ऐसा करो तुम माजी के पास रुक जाओ और माजी के साथ ही खाना खाओ उन्हें अच्छा लगेगा मैं प्रथम को बाहर घुमा लाती हूँ , सही है न दोनों माँ बेटे एन्जॉय करते हैं !! अनु की बात सुनकर सब भोचक्के रह गए और अनु की तरफ देखने लगे पर वो बेफिक्र खड़ी थी।अनु ने सुमित को कहा कि ”अब बस और नहीं “ और रोज़ रोज़ माजी के होने वाले पेट दर्द की वजह , प्रथम को माँ की जॉब छुडवाने वाली बात पर बहकाना और सारा काला चिट्ठा सुमित के आगे खोल कर रख दिया । सुमित माँ के बर्ताव से हैरान था, उसने माँ से पूछा कि ये सब सच है तो माँ बोली “ क्या ज़रूरत है इसको नौकरी करने की , तू अच्छा ख़ासा कम तो रहा है न , तेरे से घर के काम में मदद लेती है अगर घर रहेगी तो खुद काम करेगी ना !!”

सुमित ने जवाब दिया कि बस करो माँ, ये मेरी मर्ज़ी से नौकरी करती है और इसकी तनख्वाह से हमारे घर में मदद होती है तो अगर मैं इसकी मदद करूँ तो उसमें क्या हर्ज़ है । दूसरी बात अगर आप घर पर बोर हो जाती हो तो सत्संग में जाओ, प्रथम का ख़याल रखो लेकिन उसे गलत बातें मत सिखाओ, माँ को अब समझ आ चुका था कि चुप रहने में ही भलाई है, अनु सुमित को चुपचाप देख रही थी और मन ही मन उसका धन्यवाद कर रही थी ।

कैसी लगी आपको Emotional Story of Husband and Wife

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Written by Geetanjli Dua