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झूठी हूँ मैं -Hindi Kahani | Emotional Family Story in Hindi

Heart touching Family Story in Hindi

Emotional family Story in Hindi
Emotional family Story in Hindi

Emotional Family Story in Hindi में पढ़ें नीना की कहानी जो एक माँ है और अपने sacrifices बताती है।

अगर मैं ये कहूँ कि बच्चा होते ही अगले दिन से मैं खुद को सातवें आसमान पर महसूस करने लगी थी तो शायद मैं झूठ बोल रही हूँ।

नीना की शादी 23 साल की उम्र में हो गयी थी जब बाकी लडकियां अपने कैरीयर पर ध्यान दे रही होती हैं। नीना ने कभी इस बात का गिला नहीं किया बल्कि ख़ुशी ख़ुशी सब कुछ करती थी क्यूंकि वो जतिन को बहुत प्यार करती थी, जतिन उसकी दुनिया था। 23 साल की उम्र में ही वो माँ भी बन गयी लेकिन उसे लगा कि शायद यही उसकी डेस्टिनी थी।

शुभ के होने के बाद वो जतिन के बिना अपने ससुराल में रही। जब बच्चा इस दुनिया में आता है तो उसे एडजस्ट होने में बहुत टाइम लगता है लेकिन हर बच्चा कुछ समय में एडजस्ट हो जाता है। शुभ उन बच्चों में से बिलकुल नहीं था, वो बुत कम सोता था । शुभ की नींद भी बहुत कच्ची थी, ऐसे में नीना को बहुत परेशानी होती थी। शादी से पहले जिस नीना को दोपहर में 2 घंटे सोने की आदत थी अब उसे रात को भी ढंग से दो घंटे सोने को नहीं मिलते थे।

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कुछ दिन बाद उसकी सास से मिलने उनकी सहेली आई तो नीना को बोली कि नीना अब तो तुम्हारा बच्चा 40 दिन का हो गया है । अब तुम रसोई का काम संभाला करो, तुम्हारे इस तरह आराम करने से तुम आलसी हो जाओगी। नीना को बहुत बुरा लगा लेकिन उसने कहा कि कोई बात नहीं शायद इस उम्र का नाम ही तजुर्बा है और उसने रसोई भी अच्छे से संभालनी शुरू कर दी ।कुछ दिन बाद जतिन नीना को दिल्ली ले आया और अब नीना जतिन के लिए, शुभ के लिए और अपनी एक ननद के लिए भी काम करती थी।

नीना को अब लगने लगा था कि हर समय बदलता है, काश वो उन आंटी को दिल्ली बुलाकर ये दिखा पाती को वो कैसे इतनी कुशलता से सब काम अपने दम पर संभाल रही है ।कोई उसकी मदद के लिए नहीं है वहां फिर भी हर काम कितने अच्छे से कर रही है वो पर उसे किसी को जताने की ज़रुरत नही थी।

कुछ सालों बाद जब उसका दूसरा बच्चा हुआ तो वो नौकरी करती थी ।उसको वहीं रहकर डिलेवेरी करवानी पढ़ी। नौकरी, बड़ा बच्चा, जतिन , छोटा बच्चा, घर सब कुछ इतनी कुशलता के साथ संभाला उसने कि सब देखते रह गए।आज जब छोटा बच्चा दो साल का हो गया तो उसकी एक कॉलिज की सहेली आई और बोली, बहुत दिक्कत हुई होगी न तुम्हे इस बच्चे की बार क्यूंकि पिछली बार तो तुम ससुराल में थीं। नीना ने जवाब दिया कि अगर मैं ऐसा कहूँगी तो ये शायद झूठ होगा क्यूंकि इस बच्चे की बार मुझे किसी ने ये नहीं कहा कि तुम अब अपना घर संभाल लो, या रसोई संभाल लो।

नीना की सहेली को समझ नहीं आया तो नीना ने बताया कि कई बार हम समाज के दबाव में आकर कुछ बातों से दब जाते हैं और बाद में वही बातों में हमें उलझाया जाता है। शुभ के वक़्त मैं रात भर नहीं सोती थी क्यूंकि शुभ सुबह 4 बजे तक जागता रहता था और जतिन नहीं थे तो मैं अकेले रात भर उसको संभालती थी। लोगों को लगता था कि मैं रात को भी आराम करती हूँ, दिन में भी आराम कर लेती हूँ तो काम क्यूँ नहीं करती पर मैंने जिंदगी के तजुर्बे से ये सीखा है कि

कभी कभी खुद से झूठ बोलना अच्छा रहता है या खुद को झूठा साबित करना अच्छा रहता है क्यूंकि मेरी मजबूरी सिर्फ मैं जानती थी।

लोगों का काम होता है दुसरे की जिंदगी में झांककर दखल देना, ऐसे में अगर आप खुद को कहीं गलत साबित करके या झूठा साबित करके शान्ति खरीद सकते हैं तो वो फायदे का सौदा होता है।

दोस्तों कैसी लगी आपको नीना की Emotional Family Story in Hindi

जो लोग आपको परेशान करते हैं उन्हें इग्नोर करने के लिए सुनें : https://www.youtube.com/watch?v=W3mWyxJWizQ

Written by Geetanjli Dua