Inspirational Family Story in Hindi दर्शाती है किस तरह एक बेटी अपने पिता के सामने अपने मन की बात नहीं रख पाती।
पल्लवी सोचने लगी कि काश शिकायतें चाय की पत्ती बन जाएँ और उन्हें हम हमेशा के लिए dustbin में डाल दें।
आज पल्लवी की नानी उसके पापा के साथ उसके ससुराल आ रहीं थीं, बहुत खुश थी वो और दोनों की पसंद के पकवान बनाने में लगी हुई थी सुबह से ,सारे घर का काम भाग भाग कर कर रही थी । पल्लवी की शादी को 8 महीने हो गए थे और तब से वो पगफेरे के बाद अब तक अपने मम्मी पापा से नहीं मिली थी। आज पूरे आठ महीने बाद वो अपने पापा से मिलने वाली थी तो बहुत खुश थी हालांकि उसकी मम्मी ने उसे हिदायत दी थी कि ज्यादा कुछ न करे पर अगर शादी के बात भी मम्मी की बातें ही मानेगी तो कैसे चलेगा ।
वो बिना किसी की परवाह किये अपनी तैयारियों में व्यस्त थी , उसको इतना मग्न देख उसकी सास ने पंकज(पल्लवी का पति ) को आवाज़ लगाई और कहा कि इतनी सफाई रो हमारे घर में आखरी बार दिवाली पर हुई थी जब लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना था लगता है आज फिर से लक्ष्मी जी प्रकट हो जायेंगी। पंकज को पता था कि ये शब्द पल्लवी के कानों में पड़ रहे हैं लेकिन उसने बस “ माँ तुम भी ना “ कह कर अपना बैग उठाया और ऑफिस की तरफ रवाना होने लगा कि तभी पल्लवी ने पूछा कि कब तक वापिस आओगे तो उसने कहा मीटिंग ख़त्म होते ही आ जाऊंगा।
पल्लवी अब काफी मज़बूत हो चुकी थी, उसके परिवार वाले हैं तो उसकी ज़िम्मेदारी है उन्हें संभालना या सम्मान देना खैर उसने मन ही मन “ॐ इग्नोराए मन्त्र “ का जाप किया और लग गयी अपने काम निपटाने में, दोपहर को जब खाली होकर तैयार हो रही थी तो घंटी बजते ही ऐसे भागी जैसे उसके बचपन के दिन लौट आये हों जब पापा शाम को उसके लिए उसकी मनपसंद चीज़ें लाया करते थे और वो उनका स्वागत बहुत खुश होकर करती थी , ना जाने आज फिर दिल कैसे बच्चा बन गया था ।
पापा और नानी को सामने देख कर पापा से ऐसे गले लगी की आंसूं छलक पड़े, पहले नज़र पापा के हाटों में जो थैला होता था उस पर जाया करती थी कि क्या सामान है पर आज कान पापा के सीने से लग कर उसमें धड़क रहे दिल से ये पूछना कि क्या उन्हें मेरी याद नहीं आती ? क्या बचपन में जिसे वो अपने जिगर का टुकड़ा मानते थे । आज समाज के कुछ रीति रिवाजों के चलते उन्होंने उस टुकड़े को किसी के भी हाथों सोंपना ठीक समझा ? पल्लवी को नानी ने झकझोरा और बोलीं थोड़ा हम से भी मिल ले बिटिया अपने पापा पर ही सारा प्यार लुटा दोगी क्या ?
पल्लवी ने आंसूं चुपके से पोछे और नानी से मिलकर दोनों को अन्दर ले आई जहाँ सासू माँ पहले से खड़ी थीं, उन्होंने उनको बैठने का इशारा किया तो पल्लवी रसोई में चली गयी सबके लिए पानी लाने इतने में ससुर जी आ गए और समधी जी से बातें करने लगे ।
नानी भी पल्लवी की सास से ज्यों ज्यों बात कर रही थी धीरे धीरे उनकी शिकायतों का पिटारा खुलता जा रहा था जिसको वो बता कम और जता ज्यादा रहीं थी I वो बोलीं भई मैंने तो पल्लवी को बोल दिया अब ये तुम्हारा घर है तुम संभालो जैसे तुम्हारा मन करे पर बच्ची है न सुबह जल्दी नहीं उठ पाती, पंकज तो ऑफिस से ही खाना खा लेता है उसको कम मसाले वाला पसंद है न और हम तो कुछ टोका ताकि में विश्वास रखते नहीं कहीं बच्चे बुरा मान जाएँ तो और जोर से हंस पड़ी जब उन्होंने पल्लवी को पानी लाते देखा ।
पापा की नज़र पल्लवी पर थी कि कैसे वो उसके भाई को डांट देते थे अगर ज़रा सा भी वो पल्लवी को परेशान करे तो और आज क्या हुआ उन्हें बस दोनों हाथ जोड़ कर अपनी बच्ची की झूठी मुस्कान के पीछे छिपी दर्द को दास्तान को समझते हुए भी कुछ नहीं कर पा रहे । नानी ने पल्लवी से पूछा कि गुड़िया बाथरूम कहाँ है तो पल्लवी उन्हें पकड़ पकड़ कर ले गयी तो उन्होंने वहां पल्लवी से कहा कि ये क्या है बिटिया तो उसने कहा कुछ नहीं नानी “आजकल मेरा season चल रहा है “ और दरवाज़ा बंद कर दिया क्यूंकि वो जानती थीं कि नानी नहीं समझेंगी और वो रसोई में चाय बनाने चली गयी ।
चाय बनाकर जब वो चाय पत्ती dustbin में डालने लगी तो सोचने लगी कि “काश शिकायतें भी चाय पत्ती की तरह होतीं जिन्हें कचरापेटी में डाला जा सकता तभी उसने कुछ सुना । समधन जी अपने आप ही बोले जा रही थीं, जी आपकी बिटिया गलतियाँ बहुत करती है कभी नमक ज्यादा तो कभी कम !! तभी पापा तपाक से बोले कोई बात नहीं बहन जी आप भी तो इस घर में नयी आई होंगी जैसे आप सीख गयीं हमारी पल्लवी भी सीख जायेगी, ऐसा सुनते ही समधन जी को समझ आ गया कि वो उन्हें ये बता रहे हैं कि आप भी बाहर वाली थीं कभी और ऐसा सुनते ही पल्लवी ने अपने हाथ से बनाए लड्डू की कटोरी ट्रे में रखी और बाहर आकर बोली पापा ये खाओ मुह मीठा करो मैंने अपने हाथों से बनायी है।
कैसी लगी आपको Inspirational Family Story in Hindi
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