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गंदे कपडे और छोटी सोच | Inspirational Story in Hindi for Society

Hindi Ki Inspirational Kahani

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आज राधा स्कूल देर से पहुंची तो टीचर ने उसे फिर से फटकारा और कहा अगर तुमने रोज ये लेट आने की आदत नहीं छोड़ी तो मैं तुम्हे क्लास से बाहर निकाल दूंगीI टीचर की बात सुनकर राधा चुपचाप सिर हिलाकर अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी और बाहर देखकर कुछ सोचने लगीI राधा छठी क्लास में पड़ती थी और बाकी बच्चों से कुछ अलग थीI  वह ना ज्यादा बोलती थी और ना ही ज्यादा खेलती थी पर पढाई में बहुत होशियार थीI रोज क्लास में लेट आना उब राधा की आदत में शुमार था और रोज की तरह टीचर उसे दो बातें सुना कर बैठने का इशारा कर देतीI

राधा की क्लास टीचर सविता जी उसकी इस आदत से बहुत परेशान थी और उसने कई बार इसके बारे में उसकी मम्मी को भी जिक्र किया था पर दो दिन ठीक रहने के बाद राधा फिर से लेट आना शुरू कर देती थीI एक दिन स्कूल में सविता जी की दोस्त पूजा आई और सविता ने क्लास के बाहर उन्हें इंतज़ार करने के लिए कहाIपूजा स्कूल में इधर उधर घूम रही थी तो उनकी नज़र राधा पर पड़ी, रोज़ की तरह राधा लेट आई, टीचर ने उसे कुछ कहा और वह फिर अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी, क्यूंकि यह रोज़ का नियम था तो किसी को इससे फर्क नहीं पड़ता था , लेकिन एक बात जो पूजा ने गौर की वह आज तक किसी ने नहीं देखी, पूजा ने देखा कि राधा जब से अपनी सीट पर जाकर बैठी तब से वह गुमसुम सी थीI जहां टीचर की बात पर बच्चे हँसते थे, जवाब देते थे , वहां राधा चुप चाप बैठकर खिड़की के बाहर देखती रहतीI

पूजा को यह बात बहुत अटपटी लगी , उनसे रहा नहीं गया और क्लास ख़त्म होने के बाद उन्होंने सविता जी से राधा का जिक्र कियाIअब यह तो पूजा ने सविता जी की दुखती रग पर हाथ रख दिया, उन्होंने एक लय में राधा के रोज़ लेट आने की बात पूजा को बता डाली और कहा की इसकी वजह से उनकी पूरी क्लास रोज़ डिस्टर्ब होती हैI पूजा एक बहुत सुलझी हुई इंसान थी और साथ ही साथ उनका चाइल्ड psychology में भी बहुतInterest था तो उन्हें यह भांपते देर न लगी कि बात कुछ और है, जो कोई समझ नहीं पा रहाI उन्होंने सविता जी से रिक्वेस्ट की, और कुछ दिन स्कूल आने की permission मांगी, क्यूंकि वह राधा को observe करना चाहती थीI सविता जी की स्कूल में अच्छी धाक थी, जिसकी वजह से पूजा को यह permission मिलने में देर नहीं लगी और उसने अगले दिन से रोज़ आकर राधा के ऊपर अपनी स्टडी स्टार्ट कर दी लेकिन उसने एक शर्त रखी कि राधा को इसके बारे में कुछ पता नहीं चलना चाहिएI सविता जी अपनी सहेली की बातों को ठुकरा नहीं पायीं, पर उन्होंने उसे राधा पर अपना वक़्त न ख़राब करने की हिदायत दी, क्यूंकि उनका यह मानना था के ये लोग discipline का अर्थ नहीं जानते हैं और उन्हें इसके बारे में समझाना मतलब अपना समय बर्बाद करने के सामान हैI

पूजा ने उन्हें आश्वासन दिया कि अगर वह गलत साबित हुई तो वह कभी दुबारा इस तरह की जिद नहीं करेगी, आखिर में सविता जी को उसकी बात माननी पड़ीI पूजा ने दो चार दिन राधा का लेट आने का सिलसिला देखा और फैसला लिया कि वह राधा का पीछा करेगी और उसके घर जायेगी शायद वहीँ से उसे इस केस स्टडी में कुछ मदद मिल सकेI पूजा ने दोपहर में राधा का पीछा किया और देखा कि राधा के घर पहुँचते ही उसकी माँ ने उसको फटकारा और कहा कि तू रोज़ कपडे इतने गंदे कर लेती है, थोडा कम खेला कर, हम गरीब लोग हैं साबुन के पैसे कहाँ से लायेंगेI

घर के बाहर कड़ी पूजा सारी बातें सुन रही थी और अचंभित थी कि राधा तो स्कूल में खेलती ही नहीं तो उसे उसकी माँ खेल की वजह से कपडे गंदे करने पर कैसे फटकार सकती हैI अब सवालों के जाल ने पूजा के दिमाग को जकड लिया और वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिर राधा हर जगह इतनी फटकार सुनने के बाद भी चुप क्यूँ है और वह अपनी माँ को यह क्यूँ नहीं बताती कि वह स्कूल में खेलती ही नहीं है ? इतने सवालों के बाद पूजा के मन में आया कि वह अन्दर जाकर राधा से बात करे और उसकी माँ को हालात के बारे में बताये, पर कहीं न कहीं उसने खुद को रोक लिया और अगले दिन फिर से राधा को follow करने का plan बनाया और घर चली गयीI

जैसा की सविता जी ने बताया था कि राधा रोज लेट आती है, पूजा आराम से तैयार हुई और स्कूल शुरू होने के बाद राधा के घर के बाहर छुप कर खड़ी हो गयी सिर्फ इस आस में कि शायद आज वो मामले की जड़ तक पहुँच ही जायेगी , लेकिन जब इंतज़ार करते करते बहुत देर हो गयी और बाहर कोई नहीं आया तो उससे रहा नहीं गया, उसने जैसे ही दरवाज़े से आगे बढने की कोशिश की , तो उसने सुना कि उसकी माँ bed पर लेटे लेटे बडबडा रही थी कि आज बिटिया बिना कुछ खाए जल्दी में स्कूल चली गयी और मैं उसको सिर्फ कपडे गंदे होने पर ही फटकारती रहती हु, आखिर बच्ची है वोI

पूजा ने यह बातें सुनने के बाद आव देखा न ताव और तुरंत स्कूल की तरफ रुख कर लियाI पूजा यह सोचती हुई जा रही थी कि आज सविता जी खुश होंगी कि राधा आज स्कूल समय पर पहुची है, पर उसको यह सुनकर बहुत हैरानी हुई कि राधा रोज़ की तरह आज भी लेट आई थीI अब पूजा ने बहुत मुश्किल से खुद को राधा से माजरा जानने से रोका और फिर उसका पीछा करने का plan बनायाI पूजा ने स्कूल छूटने के बाद फिर राधा का पीछा किया और देखा कि राधा सीधा अपने घर गयी और अपनी माँ के हाथ में कुछ पैसे थमाए और बोली कि माँ आज टीचर ने एक प्रतियोगिता रखी थी जिसमे मैं first आई हु और मुझे यह इनाम के रूप में मिले हैं, अब तुझे अपनी दवाई और मेरी पढाई की चिंता करने की जरुरत नहीं हैI

पूजा को अब सविता जी की बाते याद आ रही थी और पछतावा हो रहा था कि क्यूँ उसने राधा जैसी लड़की पर इतना समय गवाया, क्यूंकि वह जानती थी कि स्कूल में ऐसी कोई प्रतियोगिता नहीं हुई थी और राधा अपनी माँ से झूठ बोल रही थीIअब पूजा को लगने लगा कि शायद राधा ने अपनी माँ को कहीं से चोरी करके पैसे लाकर दिए हैंI अभी पूजा खयाली पुलाव ही पका रही थी कि उसने देखा कि राधा ने जल्दी से कपडे बदले और माँ से बहार खेलने जाने की permission ली और कही जल्दी में जाने लगीI पूजा ने सोचा कि यही सही मौका है राधा को उसकी गलती का एहसास दिलाने का और उसे discipline follow करने की हिदायत देने का सो वह उसके पीछे चल दीI

कुछ दूर पहुचते ही राधा एक सुन्दर सी कोठी में घुस गयी, यह कोठी Mrs. Mathur की थी जो पूजा की मम्मी की सहेली थींI पूजा ने थोड़ी देर बाहर इंतज़ार करना ठीक समझा, आधे घंटे बाद राधा बहार आई और अपने घर चली गयीI राधा के जाने के बाद पूजा Mrs. Mathur के घर उनका हाल चाल पूछने के बहाने चली गयी और बातों बातों में बोली कि आपके घर जो काम वाली लड़की आती है वह तो उम्र में बहुत छोटी है अपने उसे काम पर कैसे रख लिया ? तब उन्होंने बताया कि एक दिन उन्होंने राधा को एक medical स्टोर पर माँ की दवाईयों के लिए उधार मांगते हुए सुना तो उन्होंने बोला कि बेटा अगर तुम्हारी माँ बीमार है और तुम्हारे पास पैसे नहीं हैं तो मैं दे देती हुI पूजा की आँखों से आंसूं बह निकले जब Mrs. Mathur ने बताया कि राधा ने मुफ्त में पैसे लेने से साफ़ इनकार कर दिया और बदले में उधार चुकता करने का तरीका पूछाI उन्होंने बताया कि मैं इतनी छोटी बच्ची की बातें सुनकर हैरान थी, पर मैं उसे काम पर नहीं रख सकती थी क्यूंकि मेरे घर already काम वाली लगी हुई थीI

मैंने उसके स्वाभिमान को ठेस न पहुचाते हुए उसे पैसे दिए और अगले दिन सुबह घर आने के लिए बोलाI जब वह अगले दिन घर आई तो उसने स्कूल यूनिफार्म पहनी हुई थी और उसने यह बात अपनी माँ से छुपाने के लिए कहाI उस दिन से मैंने उसे सुबह अपने पोते के साथ खेलने के लिए रख लियाI सुबह की भागम भाग में मुझे अपने पोते के साथ समय बिताने का वक़्त नहीं मिलता और वह उस समय एक साथ और अटेंशन चाहता हैI अब राधा रोज उसके साथ खेलती है, उसका ध्यान रखती है और फिर स्कूल जाती है जिससे उसका स्वाभिमान भी सलामत रहता है और उसे कुछ समय खेलने का भी मिल जाता है, और मैं उस मासूम बच्ची को खेलने के बदले पैसे दे देती हूँI

पूजा अब speechless थी Mrs. Mathur के और राधा के जज्बे को जानकार जो कहीं न कहीं निस्वार्थ एक दुसरे के काम आ रहे थे और मन ही मन उन्हें सलाम कर रही थीI पूजा को कहीं न कहीं सविता जी और राधा की माँ दोषी नज़र आ रहे थे जो बच्चे की मनोदशा जाने बिना उसपर बरस पड़ते थे और खुद पर उसे proud फील हो रहा था कि कहीं न कहीं उसने राधा की सच्चाई जानने में सफलता हांसिल कर ली थीI अगले दिन पूजा ने सविता जी और राधा की माँ को सारी सच्चाई से अवगत कराया और साथ  ही साथ यह वादा लिया कि वह कभी राधा को यह महसूस नहीं होने देंगे कि उन्हें इस सच्चाई के बारे में पता है और राधा के स्वाभिमान को ठेस नहीं पहुँचने देंगेI अगले ही दिन से राधा को स्कूल में लेट आने पर और घर पर कपडे गंदे होने पर कभी फटकार नहीं पड़ीI

Written by Geetanjli Dua