Emotional Story of Father and Son दर्शाती है पिता का समर्पण अपने बेटे के लिए।
दिया एक बात के लिए हमेशा के लिए निश्चिंत हो गयी , वो थी कि उसको अकेले ही रोहन का ख़याल भी रखना था और ऑफिस भी मैनेज करना था , जब उसने शिवम् को बाप की बापता दिखाते हुए
देखा I बाहर कैब वेट कर रही थी और दिया थी जिसका दिल बैठा जा रहा था , इतने में फ़ोन की घंटी बजी और उठाते ही दिया बोली – बस शेफाली in 30 min, i am reaching !! बॉस को कह तो दिया लेकिन रोहन के छोटे छोटे हाथ जो उसका स्कार्फ पकडे हुए थे उसे छोड़ने को तैयार ही नहीं थे मानो कह रहे हों कि आप ऐसे कैसे जा सकते हो मुझे छोड़ कर ?
एक तो मन में जल्दी ऑफिस ज्वाइन करने का गिल्ट ऊपर से रिश्तेदारों के ताने कि अगर बच्चा पालने का टाइम नहीं था तो पैदा क्यूँ किया , ऐसे में मीटिंग के लिए देहरादून जाना किसी डर से कम नहीं था ऊपर से शिवम् का वो मस्त मौला स्वभाव तो ऐसे में घबराहट तो जायज़ थी I दिया रोहन के लिए दूध गरम कर रही थी और बढ़बढ़ा रही थी कि बेटा मैं जानती हूँ मैं तुम्हारे साथ सही नहीं कर रही हूँ लेकिन मैं ये तुम्हारे भविष्य के लिए कर रही हूँ I सब मुझे कह रहे हैं कि मेरा फैसला गलत है पर मैं जानती हूँ कि जब तुम बड़े हो जाओगे तो तुम समझोगे कि ये मैंने तुम्हारी भलाई के लिए किया है , जैसे ही दिया ने ये कहकर रोहन को bottle दी शिवम् अन्दर आया और बोला क्या मैं भी ऐसा कहता हूँ ?
दिया ने कहा नहीं तुम नहीं पर तुम क्या सच में इसे संभाल पाओगे ? मुझे अभी भी समझ नहीं आ रहाI तभी शिवम् ने रोहन को गोद में लिया और बोला अब तुम मेरी बापता पर शक कर रही हो !! what ? बापता, दिया ने हैरानी से पूछा ? जी हाँ जैसे माँ की ममता होती है वैसे बाप की बापता होती है, है न बेटू !! रोहन हसने लगा तो शिवम् बोला जाओ कैब इंतज़ार कर रही है और चिंता मत करो मेरे पास बहुत बापता है !! दिया निश्चिन्त होकर एअरपोर्ट के लिए चली गयी I
कैसी लगी आपको Emotional Story of Father and Son
बच्चों को कैसे पिता चाहिए सुनें https://www.youtube.com/watch?v=tGIk0WjgiZk