Hindi Story with Moral में पढ़ें कैसे बड़े भी अपनी ज़िन्दगी के बारे में सोच सकते हैं।
बेटे की अच्छी परवरिश और उसकी ख्वाहिशें पूरी करने में लगा दी और इन सब में उन्हें अपने लिए जीने का टाइम ही नहीं मिला।
जिंदल साहब ने पूरी ज़िन्दगी अपने बेटे की अच्छी परवरिश और उसकी ख्वाहिशें पूरी करने में लगा दी और इन सब में उन्हें अपने लिए जीने का टाइम ही नहीं मिला, बहुत पैसा कमाया लेकिन अपनी पत्नी को वक़्त नहीं दे पाए । बेटे ने जो मुंह से निकाला उन्होंने वो उसे लाकर दिया और इस बात पर कई बार उनका आपस में झगड़ा भी हो जाता था लेकिन जिंदल साहब ने कभी परवाह नहीं की । सौरभ बड़ा हो गया था और बाहर पढ़ने चला गया तब जिंदल साहब अपनी बीवी के साथ वक़्त बिताते थे ।
वो शशि की पसंद के रेस्टोरेंट में उन्हें खाना खाने ले जाते, वो जहाँ घूमना चाहती थी उन्हें वहां ले जाते और बहुत खुश रखते क्यूँकि अब उनके पास उनका बेटा नहीं था । एक दिन सौरभ ने फ़ोन करके बताया कि उसने वहीँ की लड़की से शादी कर ली है और वो जल्द ही उसे लेकर इंडिया वापिस आ रहा है क्यूँकि वैसे वो लड़की इंडिया की ही थी। जिंदल साहब को बहुत सदमा लगा लेकिन शशि ने उन्हें बहुत समझाया और संभाल लिया पर इस बीच न जाने वो कैसे उनका साथ छोड़ कर हमेशा के लिए चली गयी जब उन्हें उसकी सबसे ज्यादा ज़रुरत थी ।
सौरभ ने टिकट कराया और वापिस आ गया और अपनी माँ का अंतिम संस्कार किया । कुछ टाइम बाद सौरभ ने अपने पिता से कहा कि आप अब घर के पास वाले गेस्ट हाउस में शिफ्ट हो जाओ क्यूँकि उनकी बहु को बहुत दिक्कत होती थी उनके तौर तरीकों से , जिंदल साहब चुप चाप वहां से चले गए । एक दिन जब उनकी बहु एक महीने के लिए मायके गयी हुई थी और बेटा 15 दिन के लिए बिज़नस टूर पर गया था तो उन्होंने पीछे से सब कुछ बेच दिया और जब बेटा वापिस आया तो बाहर बैठे गार्ड ने बताया कि ये घर अब बिक चूका है और जिन्होंने बेचा है उन्होंने ये चाबी और लैटर दिया है।
सौरभ ने जब उसे पढ़ा तो उसमे लिखा था कि ” बेटा मुझे ढूँढने की कोशिश मत करना और बाप हूँ इसलिए तुम्हारे लिए वही गेस्ट हाउस छोड़ कर जा रहा हूँ जो तुमने मेरे लिए छोड़ा था अब तुम और तुम्हारी बीवी उसमे सुकून से रहना ।”
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क्या बच्चों से जुड़ना इतना मुश्किल है सुने https://www.youtube.com/watch?v=bDl3BFhWsLE